Book Title: Agam 38A Jiyakappo Chheysutt 05A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नमो नमो निम्मत सणस्स पंचप गणपर श्री सुधर्मास्यामिने नमः ३८ जीयकप्प-सुत्तं 1911-1 ||२|1-2 ॥३॥- ||४||-4 ||५|-5 ||६||-6 ॥७॥-7 पंचम छेयसुत्तं | कय-पयवण-प्पणामो बोछं परित्तदान-संखे जीयव्यवहार-गंय जीयस्स विसोहणं परमं संवर-विनिजराओ मोक्खस्स पहोतवो पहो तासिं तवसोय पहाणंगंपच्छितंजंचनाणस्स। सारो चरणं तस्स वि नेव्याणं चरण-सोहणत्यं व पच्छित्तं तेण तयं नेयं मोक्खस्थिणाऽवस्सं तंदसविहमालोयण पडिकमणोभय विवेग योस्सग्गे तव छेय-मूल-अणवक्कयाय पारंचिए चेय करणिज्जा जे जोगा तेसुवउत्तस्स निरइयारस्स छउमत्थस्स विसोही जइणो आलोयणा भणिया आहाराइ-ग्गहणे तह बहिया निग्गमेसुऽणेगेसु उधार-विहारावणि-घेइय-जइ-बंदणाईसु जंचऽन्नं करणिनं जइणो हत्य-सय-बाहिरायरियं अवियडियस्मि असुद्धो आलोएंतो तयं सुद्धो कारण-विणिग्गयस्सयस-गणाओ पर गणागयस्स विय उपसंपया-विहारे आलोयण-निरइयारस्स गुती-समिइ-पमाए गुरुणो आसायणा विनय-मंगे इच्छाईणमकरणे लहुस मुसाऽदिन-मुच्छासु अविहीइ कास-जंमिय-खुप-यायासंकिलिष्ठ-कम्मेसु कंदप्प-हास-विगहा कसाय-विसयाणुसंगेसु खलियस्सय सव्यत्यवि हिंसमणायजओ जयंतस्स सहसाऽणाभोगेण व मिच्छाकारी पडिक्कमणं ओभोगेण वितणुएसुनेह-मय-सोग-याउसाईसु कंदप्प-हास-विगहाईएसु नेयं पडिक्कमणं संभम-मयाउरावइ सहसाऽणामोगऽप्प-यसओ या सव्य-वयाईयारे तदुमयमाप्तंकिए चेव दुचिंतिय दुष्मासिय दुश्चेट्टिय-एवमाइयं बहुसो उयउत्तो वि न जाणइज देवसियाइ-अइयारं सव्वेसु विबीय-पए दंसण-नाण-चरणावराहेसु आउत्तस्स तदुभयं सहसक्काराइणा चेय 1-6 |९|| |१०||-10 199111 11१11-12 |१३||-13 ||१४|14 (१५) ॥१५1-15 For Private And Personal Use Only

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