Book Title: Agam 38A Jiyakappo Chheysutt 05A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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जीपायो - (८१)
।।८९1-89
१९०।-80
॥९91-91
॥९२-92
॥९३1-93
||२४|-94
॥९५||-95
कीरइअणवटुप्पो सोलिंग-क्खेत्तर-कालओ-तवओ लिंगेण दव्व-भावे भणिओ पवावणाऽणरिहो अप्पडिविरओ-सोन भाव-लिंगारिहोऽणवठ्ठप्पो जो जत्य जेण दूसइ पडिसिद्धो तत्य सो खेते जत्तियमित्तं कालं तवसा उ जहन्नएण छम्मासा संवच्छरमुक्कोसं आसायइजो जिणाईणं वासं वारस वासा पडिसेवी कारणेण सन्चो वि थोवं योवतरं वा वहेज मुंचेज वा सव्वं वंदइ नय बंदिज्जइ परिहार-तवंसुदुसरं चरइ संवासो से कप्पइ नालवणाईणि सेसाणि तित्ययर-पवयण-सुयं आयरियं गणहरंमहिड्ढियं आसायंत्तो बहुसो आभिणिवेसेण पारंची जोय स-लिंगे दुट्टो कसाय-विसए हिं राय-वहगो य रायगमहिसि-पडिसेवओ य बहुसो पगासोय यीणद्धि-महादोसो अनोऽनासेवणापसतोय चरिमट्ठाणायत्तिसु बहुसो य पसज्जए जो उ सो कीरइ पारंधी लिंगाओ-खेत्तर-कालओ-तवओय संपागड-पडिसेवी लिंगाओ धीगिरीय वसहि-निवेसण-वाडग-साहि-निओग-पुर-देस-रजाओ खेत्ताओ पारंची कुल-गण-संघालयाओ वा जत्युप्पनो दोसो उपजिस्सइयजत्य नाऊणं
तत्तो तत्तो की खेत्ताओ खेत-पारंची (१००) जत्तिय-पेतं कालं तवसा पारंचीयस्स उसएव
कालोद-विगप्पस्स दिअणवटुप्पस्सजोऽमिहिओ (१०१) एगागी खेत्त-बहिं कुणइ तवंसु-विउल महासत्तो
अवलोयणमायरिओ पइ-दिणमेगो कुणइ तस्स (१०२) अणवट्टप्पो तवसा तव-पारंची य दो वियोच्छिन्ना
चोद्दस-पुव्यपरम्मीधरंति सेसा उजा तित्यं (१०३) इय एसजीयकप्पो समासओ सबिहियाणकम्माए
कहिओ देयोऽयं पुण पत्ते सुपरिच्छिय-गुणम्मि
॥९६108
॥९७||-97
९८/90
१९९१-99
||१००11-100
॥१०१||-101
||१०२||-102
॥१०३11-103
३८ जीयकप्पसुत्तं समत्तं पंचम छेयसुत्तं समत्तं
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