Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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॥ अहम् ।।
ग्रन्थकारोनो परिचय। प्रस्तुत बृहत्कल्पसूत्र महाशास्त्र, जेनुं खरं नाम कप्पो छ तेना संपादन साथे तेना उपरनी नियुक्ति, भाष्य अने टीकार्नु सम्पादन करेल होई ए बधायना प्रणेताओ कोण छे-हता तेने लगतो शक्य ऐतिहासिक परिचय आ नीचे कराववामां आवे छे.
छेदसूत्रकार अने नियुक्तिकार जैन संप्रदायमा घणा प्राचीन काळथी छेदसूत्रकार अने नियुक्तिकार तरीके चतुर्दशपूर्वधर स्थविर आर्य भद्रबाहुस्वामी जाणीता छे. आ मान्यताने केटलाय प्राचीन ग्रंथकारोए तेमना प्रथोमा जणावी छे, अने ए ज मान्यता आजे जैन संप्रदायमा सर्वत्र प्रचलित छे, परंतु नियुक्ति, चूर्णि वगेरे प्राचीनतम ग्रंथोनुं सूक्ष्म अध्ययन करतां तेमां आवता उल्लेखो तरफ ध्यान आपतां उपरोक्त रूढ सांप्रदायिक मान्यता बाधित थाय छे. एटले आ परिचयमा उपर जणावेली चालु सांप्रदायिक मान्यतानी बन्नेय पक्षनां साधकबाधक प्रमाणो द्वारा समीक्षा करवामां आवे छे.
" छेदसूत्रोना प्रणेता चतुर्दशपूर्व विद् भगवान् भद्रबाहुस्वामी ठे" ए विषे कोई पण जातनो विसंवाद नथी. जो के छेदसूत्रोमा तेना आरंभमां, अंतमां अगर कोई पण ठेकाणे खुद ग्रन्थकारे पोताना नाम आदि कशायनो उल्लेख कों नथी, तेम छतां तेमना पछी थएल ग्रन्थकारोए जे उल्लेखो कयां छे ते जोतां स्पष्ट रीते समजी शकाय छे के-छेदसूत्रकार, चतुर्दशपूर्वधर स्थविर आर्य भद्रबाहुस्वामी ज छे. दशाश्रुतस्कंधसूत्रनी नियुक्तिना प्रारंभमा नियुक्तिकार जणावे छे
वंदामि भद्दबाहुं, पाईणं चरिमसगलसुयनाणिं ।।
सुत्तस्स कारगमिसिं, दसासु कप्पे य ववहारे ॥ १॥ अर्थात्-"प्राचीनगोत्रीय, अंतिम श्रुतकेवली तेम ज दशाश्रुतस्कंध, कल्प अने व्यवहारसूत्रना प्रणेता, महर्षि भद्रबाहुने हुं नमस्कार करुं छं."
आ ज प्रमाणेनो उल्लेख पंचकल्पनी आदिमां पण छे. आ बन्नेय उल्लेखो जोता तेमज बीजुं कोई पण बाधक प्रमाण न होवाथी स्पष्ट रीते कही शकाय के- छेदसूत्रोना निर्माता चतुर्दशपूर्वधर अंतिम श्रुतकेवली स्थविर आर्य भद्रबाहुस्वामी छे अने तेमणे दशा, कल्प
१. दशा श्रुतस्कंध, कल्प ( बृहत्कल्पसूत्र ), व्यवहार, निशीथ ( आचारप्रकल्प ), महानिशीथ अने पंचकल्प आ छ ग्रन्थोने ‘छेदसूत्र' तरीके ओळखवामां आवे छे. प्रस्तुत लेखमां छेदसूत्रकार साथे संवन्ध धरावनार प्रथमनां चार सूत्रो ज समजवानां छे. २. आवश्यकसूत्र, दशवै कालिकसूत्र आदि शास्त्रो उपरनी गाथाबद्ध व्याख्याने नियुक्ति तरीके ओळखवामां आवे छे.
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