Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
View full book text
________________
वन्दन
पूज्यपाद, प्रातःस्मरणीय, शान्तमूर्ति, निर्मलज्ञान-चारित्रादि सदगुण विभुषित,
देशविदेशमा परिभ्रमण करी जैनशासननी अभिवृद्धि करनार, अनेक प्राचीन जैन तीर्थोना जीर्णोद्धार करावनार,
प्रभावसंपन्न, ख्यातकीर्ति, पुनीतनामध्येय, पुण्यपुरुष
श्री १००८ श्री हंसविजयजी महाराजश्री ना पवित्र गुणपूर्ण मंगलनामनुं नियुक्ति-भाष्य-वृत्तिविभूषित बृहत् कल्पसूत्रना
तृतीय विभागमा स्मरण करी अमे कृतकृत्य थइए छीए.
चरणोपासक शिशुओ मुनि चतुरविजय अने मुनि पुण्यविजय
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 364