Book Title: Agam 35 Bruhatkalpa Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र ३५, छेदसूत्र-२, "बृहत्कल्प'
उद्देशक/सूत्र तप का भंग हो जाए, वो बात स्थविर अपने ज्ञान से या दूसरों के पास सुनकर जाने तो उसे अल्प प्रायश्चित्त देना चाहिए। सूत्र-१९५
साधु-साध्वी आहार के लिए गृहस्थ के घर में प्रवेश करे और वहाँ किसी एक तरह का पुलाक भक्त यानि कि असार आहार ग्रहण करे, यदि वो गृहीत आहार से उस साधु-साध्वी का निर्वाह हो जाए तो उसी आहार से अहोरात्र पसार करे लेकिन दूसरी बार आहार ग्रहण करने के लिए गृहस्थ के घर में उसका प्रवेश करना न कल्पे । लेकिन यदि उसका निर्वाह न हो सके तो आहार के लिए दूसरी बार भी गृहस्थ के घर जाना कल्पे-इस प्रकार मैं (तुम्हें) कहता हूँ।
उद्देशक-५-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(बृहत्कल्प)" आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद"
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