Book Title: Agam 31 Ganivijja Painnagsutt 08 Moolam Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Agam Shrut Prakashan View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गगिरिया - (१) नमो नमो निम्मान सणस पंचम गणवर श्री शर्मास्वामिने नमः ३१ गणिविजा पइण्णयं 19॥ ॥२॥ ॥३॥ ॥४॥ ॥५॥ [अट्ठमं पइणय (6) योग्छंबलाऽबलविहिं नवबलविहिमुत्तमं विउपसत्यं । जिनवयणभासियमिणं पवयणसत्यम्मि जह दिटुं दिवस तिही नक्खत्ता करणं गहदिवसयं मुहुतंच।। सउणवलं लगवलं निमित्त बल मुत्तमं या वि ओया बलिया दियसा जुम्पा पुणदुब्बला उभयपक्खे। विवरीयं राईसुय बलाऽयलविहिं वियाणाहि पाडिवए पडिवत्ती नस्थि विवत्ती पणंति बीयाए। तइयाए अत्यसिद्धी विजयग्गा पंचमी पणिया जा एस सत्तमी सा उ बहुगुणा इत्य संसओनत्यि। पसमीइ पत्थियाणं भवंति निक्कंटया पंथा आरोग्गमविपं खेपियं च एक्कारसिं वियाणाहि। जे यिय हुंति अमित्ता ते तेरसिपढिओ जिणइ चाउसि पन्नरसिं वजेझा अहमिंचनवमि च । छद्धिं च चउत्यि बारसिं च दोण्हं पि पखाणं पटमा पंचमि दसमी पचरसेक्कारसी यि य तहेय । एएसुय दिवसेसु सेहनिफेडणं करे नंदा भद्दा विजया तुच्छा पुन्ना य पंचमी होइ । मासेण य छव्यारे एक्किकाऽऽवत्तए नियए (१०) नंदेजए य पुग्ने सेहनिक्खमणं करे । नंदे मद्दे सुवट्ठावे पुने अनप्सनं करे (१) पुस्सऽस्सिणि मिगसिर रेवई य हत्यो तहेव चित्ताय । अनुराह-जेट्ठ-मूला नव नक्खत्ता गमणसिद्धा (१२) मिगसिर महा य मूलोय विसाहा तह य होइ अनुराहा। इत्युत्तर रेवइ अस्सिणीय सवणे य नक्खत्ते ॥६॥ ॥७॥ ॥८॥ ॥९॥ ||१०॥ 19911 ॥१२॥ For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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