Book Title: Agam 31 Ganivijja Painnagsutt 08 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गाव-४३ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४३) सउणि चउप्पय नागं किंयुग्धं ध करणा धुवा होति । किण्हचउद्दरित्ति सउणी पडिवञ्जए करणं (४४) काऊण तिर्हि बिउणं जोण्हेगो सोहए न पुण काले । सत्तर्हि हरेज मार्ग जं सेसं तं भवे करणं (४५) बये य बालवे चेव कोलवे वणिए तहा। नागे धउप्पर यादि सेहनिक्खमणं करे (४६) बये उयद्वावणं कुञ्जा अणुत्रं गणि वायए । सउणिम्मिय विट्ठीए अनसनं तत्थ कारए (४७) गुरु-सुक्क सोमदिवसे सेहनिक्खमणं करे । वओवावणं कुज्जा अणुत्रं गणि वायए (४८) रवि-मोम कोडदिवसे धरण-करणाणि कारए । तवोकम्माणि कारेखा पाओवगमणाणि य (४९) रुद्दो उ मुहत्ताणं आई छन्नवइ अंगुलच्छाओ । सेओउ हवइ सट्ठी बारस मित्तो हवइ जुत्तो (५०) छ छेव य आरमडो सोमित्तो पंच अंगुलो होइ । धत्तारि य वइरज्जो दो घेष य सावसू होइ (५१) परिमंडलो मुहुत्तो असीवि मज्झतिते दिए होइ । दो होइ रोहणी पुण बलो य चउरंगुलो होइ (५२) विजओ पंचगुलिओ छ छेव य नेरिओ हवइ जुत्तो । वरुणो य हवइ बारस अजपदीयो हवइ सट्ठी (५३) छत्र उइअंगुलो [पुण होइ मगो सूरअत्थमणवेले ।] एए दिवसमुहुता [रत्तिमुहुत्ते अओ युच्छं (५४) हवई विवरीय धणो पमोयणो अञ्जमा तहा सीणो । रक्खस पायायच्या सामा बंधा बहरसई या (५५) विण्हु तहा पुण रित्तो ] रतिमुहुत्ता वियाहिया । दिवसमुहुतगईए छायामाणं मुणेयवं (५६) मित्ते नंदे तह सुट्टिए य अभिई चंदे तहेव य । rous गिवेस ईसाणे आनंदे विजए इय (५७) एतेसु मुहुत्तजोएसु सेहनिक्खमणं करे। ओवष्टावणाई च अणुशा गणि वायए For Private And Personal Use Only ॥४२॥ ४३ ॥ [[४४॥ ।।४५।। ४६ ४७ ॥४८॥ ६। ४९ ।। ॥५०॥ ॥५१॥ 1143-911 ॥५२-२॥ ॥५२-३॥ ॥५३॥ ॥५४॥

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