Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 5
________________ १२६ एगतीसइमं अभयणं गा० २१ २०६-२०७ उक्खेव पदं १, नियत्ति-पवत्ति-पदं २, निरोध-पदं ३, वज्जण-पदं ६, जयणा-पदं ७, निक्लेवपदं २१ | बत्तीसइमं अभयणं गा० १०० २०८-२१६ उक्वेव पदं १, तण्हा - पदं ६, उवाय-पदं ६, दुबख पदं १६, रूव पदं २३, सह-पदं ३५, गंध-पदं ४८, रस-पदं ६१, फास-पदं ७४, भाव-पदं ८७, निक्खेव पदं १०० । तेतीसइमं अज्भयणं गा० २५ २१७-२१८ उक्लेव - पदं १, कम्मपदं २, पयडि-पद ४, पएस पदं १७, ठिइ पदं १६, अणुभाग पदं २४, निक्खेव पदं २५ । चउतीसइमं अभय णं गा० ६१ २१६-२२३ उव-पदं १, लेसा-पदं ३, वण्ण-पदं ४, रस-पदं १०, गन्ध-पदं १६, फास-पदं १८, परिणामपदं २०, ठाण-पदं ३३, ठिइ-पदं ३४, अहम्म - लेसा - पदं ५६, धम्म-लेसा-पदं ५७, उववात-पदं ५८, निक्खेव पदं ६१ । पणतीसइमं अज्झयणं गा० २१ २२४-२२५ उवखेव पदं १, असंग-पदं २, उवस्सय-पदं ४, गिह-समारंभ-पदं ८ पायण-पदं १०, जोइ-पदं १२, सम-ले ठु-कंचण-पदं १३, कय- विक्कय-पदं १४, पिण्डवाय-पदं १६, समता-पदं १८, बोस- काय पदं १६, संलेहणा-पदं २०, निक्खेद-पदं २१ । छत्तीसइमं अज्भयणं गा० २६८ २२६-२४४ उक्खेव पदं १, लोकालोक-पदं २, अरूवि-अजीव पदं ५, रूवि-अजीव पदं १०, जीव-पदं ४८, सिद्ध-जीव - पदं ४६, संसारत्थ- जीव-पदं ६८, पुढवी-पदं ७०, आउ-पदं ८४ वणस्सइ-पद ६२, लेउ-पदं १०८, वाउ-पदं ११७, बेइंदिय-पदं १२७ तेइंदिय-पदं १३६, चउरिदिय-पदं १४५, पंचिदिय-पदं १५५, नेरइय-पदं १५६, तिरिक्ख - जोणिय पदं १७०, मणुय-पदं १६५, देव-पदं २०४, संलेहणा - पदं २५०, भावणा-पदं १५६, निक्खेव पदं २६८ |

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