Book Title: Agam 23 Vrushnidasha Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ आगम सूत्र २३,उपांगसूत्र-१२, 'वृष्णिदशा' अध्ययन/सूत्रजाएगा ?' 'आयुष्मन् वरदत्त ! इसी जम्बूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र के उन्नाक नगर में विशुद्ध पितृवंश वाले राजकुल में पुत्र रूप से उत्पन्न होगा । बाल्यावस्था के पश्चात् युवावस्था को प्राप्त करके तथारूप स्थविरों से केवलबोधिसम्यग्ज्ञान को प्राप्त कर अगार त्याग कर अनगार प्रव्रज्या को अंगीकार करेगा। ईर्यासमिति से सम्पन्न यावत् गुप्त ब्रह्मचारी अनगार होगा और बहुत से चतुर्थभक्त, आदि विचित्र तपसाधना द्वारा आत्मा को भावित करते हुए बहुत वर्षों तक श्रमणावस्था का पालन करेगा । मासिक संलेखना द्वारा आत्मा को शुद्ध करेगा, साठ भोजनों का अनशन द्वारा त्याग करेगा और जिस प्रयोजन के लिए नग्नभाव, मुंडभाव, स्नानत्याग यावत् दाँत धोने का त्याग, छत्र का त्याग, उपानह का त्याग तथा केशलोंच, ब्रह्मचर्य ग्रहण करना, भिक्षार्थ पर-गृह में प्रवेश करना, यथापर्याप्त भोजन की प्राप्ति होना या न होना, तीव्र और सामान्य ग्रामकंटकों को सहन किया जाता है, उस साध्य की आराधना करेगा और आराधना करके चरम श्वासोच्छ्वास में सिद्ध होगा, बुद्ध होगा, यावत् सर्व दुःखों का अन्त करेगा। 'इस प्रकार हे जम्बू ! श्रमण यावत् मुक्तिप्राप्त भगवान महावीर ने वृष्णिदशा के प्रथम अध्ययन का यह आशय प्रतिपादित किया है, ऐसा मैं ----x-----x-----x-----x----------- -X--- अध्ययन-२-से-१२ सूत्र-४ इसी प्रकार शेष ग्यारह अध्ययनों का आशय भी संग्रहणी-गाथा के अनुसार बिना किसी हीनाधिकता के जैसा का तैसा जान लेना। अध्ययन-१-से-१२-का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण ० निरयावलिका श्रुतस्कंध समाप्त हुआ, इसके साथ ही उपांगों का वर्णन भी पूर्ण हुआ । निरयावलिका उपांग में एक श्रुतस्कन्ध है । उसके पाँच वर्ग हैं, जिनका पाँच दिनों में निरूपण किया जाता है। (२३)-वृष्णिदशा-उपांगसूत्र-१२ का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (वृष्णिदशा) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद" Page 8

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9