Book Title: Agam 21 Upang 10 Pushpika Sutra Puffiyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
लेक्ख-लोभसमुग्धात
लेख (लेख्य ) १९८
लेच्छइ (निच्छवि, नेच्छवि) उ १११२७ से १३०,
१३२
लेट्ठ (लेष्ट) ज २१७०, ७१ ३।३५,६५ लेप्पार ( लेप्यकार ) प १६७
/ लेस (लिश ) लेमेंति प ३६ ६२ लेसणया (श्लेषण ) प १६१५३ लेसा (लेश्या) ५ १|१|५, २१३०, ३१, ४६; ३११११ ; १७।४३ से ४५,४७, ६६,६७, ११४, १४७, १५६ से १५८, १६१,१७२ च २२ ज ३६५, १५६, २२३,७/३८, ५८ ११६२; ११७३१ ६१ से ३,१६१२६, २०१२,३
लेसरगति (लेखागति ) ११६।३८
सापरिघाय ( लेश्याप्रतिघात) ज ७ ३८ लेसापरिणाम (लेश्या परिणाम ) प १३१२ लेसाहिताव ( लेश्याभिताप ) ज ७३८ लेसुद्देस (देश) सू २ लेस्सा (लेश्या)
२४१,१६१५०; १७२१११,१७/७, १७,१८,३०,३६ से ४१, ८८,६७, ११४,१२६, १३६,१३७,१४७,१५६,१५७,१५६,१६० से
१६३,१५११११;२८।१०६।१
लेस्सागति ( लेश्यागति ) व १६/४६ meergaraगति (श्यानुपातगति ) प १६२८,५० लेस्सापरिणाम ( लेश्य परिणाम ) प १३६, १४, १६, १८ से २०
लेह (लेख) ज २२६४ उ १।११५.११६
हट्ठ ( रेखास्थ ) ज ७३१५८, १६१,१६४,१६७ सू १० ६५,६८,७१,७४
लोअण (लोचन) ज २११५
लोइय ( लौकिक ) ज ७ ११४ सू १०।१२४
लोक (लोक) ज ३११०९,१६७
लोग ( लोक ) प १२४८१६०; २३१०,१६,३०,३२.
३४,३५,३७,३८, ४१ से ४३,४८,५० से ५२,
Jain Education International
१०३१
५८ से ६१,६३,१०२, ३, ५, १२७,१०,२०; १५।१।२; १५/४३,४५,५६,१६१३४; १८३, २६,२७,३७,३८,३६७६, ८१, ८५ ज २।६५, ७१३।३५,६५,१५६, १६७,४/२६०।१ सू १६१२२
लोगंत ( लोकान्त ) प २६४११०३०२१८४,८६, ८१ ज ७ १,६८,१६८१,१७२ लोगणाली (लोकनाली, लोकनाडी ) प ३३१८ लोगणाह (लोकनाथ ) ज ५१५, २१,४६ लोगपईव ( लोकप्रदीप ) ज ५१२१ लोगपज्जोयगर ( लोकप्रद्योतकर) ५२१ लोगपाल (लोकपाल ) प २१३० से ३३,३५,४६ से ५१ ज २६०, ११८, ११६,५/१६,५०,५६ लोगमज्झ ( लोक मध्य ) ज ४२६० लोगमज्झावसायि ( लोकमध्यावसानिक) ज ५१५७ लोगसणा (लोकसंज्ञा ) प ८१,२ लोगहिय ( लोकहित ) ज ५।२१ लोगागास ( लोकाकाश ) प ११४८५८ २ १० लोगाधिवति ( लोकाधिपति ) प २५०, ५१ लोगालोग (लोकालोक ) प १०१५ लोग हिवs ( लोकाधिपति) ज २६१; ५३१८,४८ लोगुत्तम ( लोकोत्तम ) ज ५१५, २१,४६ लोण ( लवण ) प १।२०११ लोद्ध (लोभ) प १३६१३
लोभ (लोभ) प ११।३४।१,१४०४,६,८,१० से १५,१७; २२।२०; २३३६, ३५, १८४ ज २११६, १३३ उ ३२३४
लोभकसाई (लोभकषायिन् ) प ३८ १३ १४;
उ ११६२
लोउतरिय ( लोकोत्तरिक) ज ७ ११४ १० १२४ लोभणिस्सिया ( लोभनिश्रिता ) प ११३४ लोभसंजलणा ( लोभसंज्वलना) २३७२,१४० लोभसण्णा ( लोभसंज्ञा ) प ८१,२ लोभसमुग्धात ( लोभसमुद्घात ) प ३६/४७
१८/६६२८११३३
लोभकसाय (लोभकपाय ) १४५१,२,३६१४६ लोभकसाय परिणाम (लोभकषायपरिणाम ) प १३।५
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414