Book Title: Agam 21 Upang 10 Pushpika Sutra Puffiyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 373
________________ सक्करप्पभापुढविणेरइय-सट्ठाण सक्करप्पभापुढविणेरइय (शर्कराप्रभापृथिवीनरयिक) सचित्तजोणिय (सचित्तयोनिक) प६।१६ प २०१५२,५५ सचित्ताहार (सचित्ताहार) प २८.१,२ सक्करा (शर्करा) प११२०११७१३५ समच (सत्य) प १११०१११० उ १।२४ ज २१७,६८,४।२५४ सश्चमासग (सत्यभाषक) प ११६० सक्कार (सत्कार)ज २।२५; ३।२१७ उ ११६२; सच्चमण (सत्यमनम् ) प १६।१ से ३,७,८,१०, ५१७ ११,१५,१८ से २१ सिक्कार (सत्कारय् ) सक्कारेइ ज ३१६,२७,४०, सच्चमणजोग (सामनोयोग) प ३६८६ ४८,५३,५७,६५,७३,६१,१२७,१३४,१३६, सञ्चवइजोग (सत्यवाक्योग) प ३६१६० १४६,१५१,१५२,१८६,२१६ उ १:१०६ सच्चा (सत्य) प १११२,३,३२,३३,४२ से ४६,६२, ३।११० सक्कारेंति उ ५३६ सक्कारेज्ज ८४,८५,८८,८९ ज २१६७ सक्कारेमिउ ११७ सच्चामोस (सत्यामृषा) प १११२,३,३५,३६,४२, सक्कारणिज्ज (सत्कारणीय) सू १८।२३ ४३,४५,४६,८२,८४,८५,८८,८६ सक्कारवत्तिय (सत्कारप्रत्यय) ज ५१२७ सच्चामोसमासग (सत्यामृपाभाषक) प ११।९० सक्कारिय (सलारित) ज ३८१ सच्चामोसमण (सत्वामृषापना) प१६६१,७ सक्कारेत्ता (सत्कार्य ) ज ३।६ उ ३३५० सच्चामोसमणजोग (सत्यामृषामनोरोग) प ३६८९ सक्कुलिकण्ण (शप्कुलिकर्ण) प ११८६ सच्चामोसवइजोग (सत्यामृपावायोग) प ३६१६० सक्कोत (सक्रोश) जे २३,३५ सच्चित्त (सचित्त) प २८।१।१ सखिखिणी (सकिंकिणी) ज ३१२६,३०,३६,४७, सच्छंद (स्वच्छन्द) प २।४१ ५६,६४,७२,११३,१३३,१३८,१४५,१७८ सच्छंदमइ (स्वच्छन्दमति) उ ३१११६४१२२ सग (स्वक) ५ २१६२,६३, ३३११६,१७ सच्छीर (सक्षीर) प १४८।३६ ज २११२०,३१८१,८६,१०२,१५६,१६२ सजोगि (सयोगिन् ) प ३१६६,१८३१८५५ सग (शक) प १८६ सगंय (सग्रन्थ) ज २१६६ २८१३८,३६१६२ सगड (शकट) ज २११२,३३,७१, ७३१ सजोगिकेवलि (सयोगिकेदलिन् ) प १३१०८,१०६, सगडवूह (गकटव्यूह) उ ११३७ १२१,१२२ सगडुद्धिसंठिय (सकट 'उद्धि' संस्थित) सू १०३७ सजोगिभवत्थकेवलि (सोगिभरस्थकेबलिन) सगडुद्धी (शकट 'उद्धि') ज ७१३३.१ प १८।१०१,१०२ सगडुद्धीमुहसंठिय (शकट 'उद्धि' मुखसंस्थित) सज्ज (सज्ज) ज ३।१७८ सज्जाय (सर्जक) ५ ११४८१४६ पीत शालवृक्ष सगडद्धीसंठिय (शकट'उद्धि' संस्थित) ज ७१३२११ सज्जाव (सञ्जय) समावेति उ १११३५ सगल (शकल) प २४७१२; २।३१ ज ७११७५ सज्जावेत्ता (सञ्जयित्वा) उ११३५ सू.१,१३१३ सज्झाय (स्वाध्याय) उ ३३१ सगोत (सगोत्र) सू १०1१२ से ११६ सट्ठ (षष्ठ) ज ३११७८ मु१६२१ सचित्त (सचित्त) ५ १३ से १७ ज २०६६ सट्ठाण (स्वस्थान) म ११,२,४,५,७,८,१०,११, सचित्तकम्म (सचित्तकर्मन्) मू २०१७ उ २८ १३,१४,१६ से ३१,४६, ५॥३५,४२,४६,५४, सचित्तजोणि (सचित्तयोनि) प६१६ ५७,६०,६४,६६,७५,७६,६०,६४,६८,१०८, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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