Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kcbetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संखोहबहुले पाईणपडीवायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे उत्तरओ पलिअंकसंठाणसंठिए दाहिण्णओ धणुपिट्ठसंठिए तिथा लवणसमुह पुढे गंगासिंधूहि महाणईहिं वेअड्डेण य पव्वएण छब्भागपविभते जंबुद्दीवदीवणउयसयभागे पंचछब्बीसे जोअणसए छच्च एगूणवीसइभाए जोअणस्स विक्खंभेणं, भरहस्सणं वासस्स बहुमझदेसभाए एत्थ्ण वेअड्डे णामं पव्वए पं०, जेणं भरहं वासं दुहा विभायमाणे २ चिटुइ, तं०-दाहिड्वभरहं च उत्तरड्वभरहं च॥१०॥ कहिं गं भंते जंबुद्दीव दीवे दाहिणद्धे भरहे कामं वासे पं०?, गो०! वेयद्धस्स पव्वयस्स दाहिणेणं दाहिणलवणसमुदस्स उत्तरेणं पुरथिमलवणसमुदस्स पच्चत्थिमेणं पच्चस्थिभलवणसमुदस्स पुरथिमेणं एत्थ् णं जंबद्दीवे दीवे दाहिणद्धभरहे णामं वासे पं० पाईणपडिणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे अद्धचंदसंठाणसंठिए तिहा लवणसमुदं पुढे गंगासिंधूहिं महाणईहिं तिभागपविभत्ते दोणि अद्वतीसे जोअणसए तिण्णि अएगूणवीसइभागे जोयणस्स विक्खंभेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुदं पुट्ठा पुरथिभिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमदं पुट्ठा पच्चत्थिभिल्लाएं कोडीए पच्चस्थिभिल्लं लवणसमुदं पुठ्ठा नव जोयणसहस्साई सत्त य अडयाले जोयणसए दुवालस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयाभेणं तीसे धणुपुढे दाहिणेणं णव जोयणसहस्साई सत्त छावट्टे जोयणसए इथं च एगूणवीसइ भागे जोयणस्स किंचिविसेसाहिअंपरिक्खेवेणं पं०, दाहिणद्धभहस्सणंभंते! वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे पं०?, गो०! बहुसभरमणिज्जे भूमिभागे पं०,से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जावणाणाविहपञ्चवण्णेहिं मणीहिं तणेहि य उवसोभिए, तं०-कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव, दाहिणद्धभरहे णं भते! वासे ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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