Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
॥ श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रं ॥
ॐ नमः ॥ णमो अरिहंताणं । तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला णामं णंयरी होत्या, रिद्धत्थिमियसमिद्धा वण्णओ, तीसे |णं मिहिलाए णयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए एत्थ णं माणिभद्दे णामं चेइए होत्या वण्णओ, जियसत्तू राया धारिणी देवी वण्णओ, तेणं कालेणं० सामी समोसढो, परिसा णिग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया ॥ १ ॥ तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे गोअमगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंसठाणे जाव तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ वंदइ णमंसइत्ता (प्र० जाव ) एवं वयासी ॥ २॥ कहिं णं भंते! जंबुद्दीवे के महालए णं भंते! जंबुद्दीवे किंसंठिए णं भंते! जंबुद्दीवे किमायारभाव पडोयारे णं भंते! जंबुद्दीवे पण्णत्ते ?, गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वभंतराए सव्वखुड्डाए वट्टे तेल्ला पूय संठाण संठिए वट्टे रहचक्कवालसंठगणसंठिए वट्टे पुक्खरकण्णियासंठगणसंठिए वट्टे पडिपुण्णचंदसंठगणसंठिए एगं जोयणस्यसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं सोलस सहस्साइं दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस अंगुलाई अर्द्धगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पं० ॥ ३ ॥ से णं एगाए वइरामईए जगईए सव्वओ
॥ श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
१
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 225