Book Title: Agam 16 Suryapragnati Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 19
________________ आगम सूत्र १६, उपांगसूत्र-५, 'सूर्यप्रज्ञप्ति' प्राभृत/प्राभृतप्राभृत/सूत्र प्राभृत-७ सूत्र - ३८ सूर्य का वरण कौन करता है ? इस विषय में बीस प्रतिपत्तियाँ हैं । एक कहता है मंदर पर्वत सूर्य का वरण करता है, दूसरा कहता है कि मेरु पर्वत वरण करता है यावत् बीसवां कहता है कि पर्वतराज पर्वत सूर्य का वरण करता है । (प्राभत-५-के समान समस्त कथन समझ लेना ।) भगवंत फरमाते हैं कि मंदर पर्वत से लेकर पर्वतराज पर्वत सूर्य का वरण करता है, जो पुद्गल सूर्य की लेश्या को स्पर्श करते हैं वे सभी सूर्य का वरण करते हैं । अदृष्ट एवं चरमलेश्यान्तर्गत् पुद्गल भी सूर्य का वरण करते हैं । प्राभृत-७-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (सूर्यप्रज्ञप्ति) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 19

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