Book Title: Agam 16 Suryapragnati Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र १६, उपांगसूत्र-५, 'सूर्यप्रज्ञप्ति'
प्राभृत/प्राभृतप्राभृत/सूत्र
प्राभृत-५ सूत्र - ३६
सूर्य की लेश्या कहाँ प्रतिहत होती है ? इस विषय में बीस प्रतिपत्तियाँ है । (१) मन्दर पर्वत में, (२) मेरु पर्वत में, (३) मनोरम पर्वत में, (४) सदर्शन पर्वत में, (५) स्वयंप्रभ पर्वत में, (६) गिरिराज पर्वत में, (७) रत्नोच्चय पर्वत में, (८) शिलोच्चय पर्वत में, (९) लोकमध्य पर्वत में, (१०) लोकनाभी पर्वत में, (११) अच्छ पर्वत में, (१२) सूर्यावर्त पर्वत में, (१३) सूर्यावरण पर्वत में, (१४) उत्तम पर्वत में, (१५) दिगादि पर्वत में, (१६) अवतंस पर्वत में, (१७) धरणीखील पर्वत में, (१८) धरणीशृंग पर्वत में, (१९) पर्वतेन्द्र पर्वत में, (२०) पर्वतराज पर्वत में सूर्य लेश्या प्रतिहत होती है।
भगवंत फरमाते हैं कि यह लेश्या मंदर पर्वत यावत् पर्वतराज पर्वत में प्रतिहत होती है । जो पुद्गल सूर्य की लेश्या को स्पर्श करते हैं, वहीं पुद्गल सूर्यलेश्या को प्रतिहत करते हैं । चरमलेश्या अन्तर्गत् पुद्गल भी सूर्य लेश्या को प्रतिहत करते हैं।
प्राभृत-५-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (सूर्यप्रज्ञप्ति) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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