Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लोहियवण्णपरिणया ते गन्धओ सुब्भिगन्ध० दुब्भि० रसओ तित्त० कडुय० कसाय० अम्बिल० महर० फासओ कक्खडफास० मउय० गुरुय० लहुय० सीत० उसिण निद्ध० लुक्ख० सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाण० वट्ट० स० चउरंस० आयत० २०, जे वण्णओ हालिहवण्णपरिणया ते गन्धओ सुब्भिगन्ध० दुब्भिगं० रसओ तित्तरस० कडुय० कसाय० अम्बिल० महर० फासओ कक्खडफास० मउय० गुरुय० लहुय० सीय० उसिण० णिद्ध० लुक्ख० सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाण० वट्ट० स० चउरंस० आयतसं० २०. जे वण्णओ सुकिल्लवण्णपरिणता ते गन्धओ सुब्भिगन्ध० दुब्भिगं० रसओ तित्तरस० कडुय० कसाय० अम्बिल० महर० फासओ कक्खडफा० उ० गुरुय० लहुय० सीय० उसिण० णिद्ध० लुक्ख० सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाण० वट्ट० तंस० चउरंस० आयय० २०, १०० जे गन्धओ सुब्भिगन्धपरिणया ते वण्णओ कालवण्णपरिणयाविणील० लोहिय० हालिद्द० सुकिल्ल० रसओ तित्तरस० कडुय० कसाय० अम्बिल० महुररस० फासओ कक्खडफास० मध्य० गरुय० लहुय० सीत० उसिण० णिद्ध० लुक्ख० सण्ठाणओ परिभण्डलसण्ठाण० वट्ट० तंस० चउरं० आयय० २३, जे गन्धओ दुब्भिगन्धपरिणया ते वण्णओ कालवण्णपरिणयावि णील० लोहिय० हालिद्द० सुकिल्ल० रसओ तित्तरस० कडुय० कसाय० अम्बिल. मह२० फासओ कक्खडफास० मउय० गुरुय० लहुय० सीय० उसिण० गिद्ध० लुक्खफासपरिणयावि सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाणपरिणयावि व० स० चउरंस० आयय० ४६, जे रसओ तित्तरसपरिणया ते वण्णओ कालवण्णपरिणताविणील. लोहिय० हालिद्द० सुकिल्ल. || श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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