Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पदेसा अधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे अधम्मत्थिकायस्स पदेसा आगासस्थिकाए || आगासस्थिकायस्स देसे आगासस्थिकायस्स पदेसा अद्धासमए १०, सेत्तं अरूविअजीवपन्नवणा३।से किं तं रूविअजीवपन्नवणा?, २ चउव्विहा पं० २० - खन्धा खन्धदेसा खन्धपएशा परमाणुपोग्गला, ते सभासओ पञ्चविहा पं० २० - वण्णपरिणया गन्ध० रस० फास० सण्ठाणपरिणया, जे वण्णपरिणया ते पञ्चविहा पं० २० कालवण्णपरिणया णील० लोहि० हालिह० सुकिल्लवण्णपरिणया, जे गन्धपरिणता ते दुविहा पं० २० - सुब्भिगन्धपरिणता य दुब्भिगन्धपरिणता य, जे रसपरिणता ते पञ्चविहा पं० २०- तित्तरसपरिणता कडुय० कसाय० अम्बिल० महररसपरिणया, जे फासपरिणया ते अविहा पं० ० - कक्खडफास० भउय० गुरुय० लहुय० सीय० उसिण० णिद्ध० लुक्खफासपरिणया, जे सण्ठाणपरिणया ते पञ्चविहा पं० २० - परिमण्डलसण्ठाण० वट्ट० स० चउरंस० आयतसण्ठापरिणया. जे वण्णओ कालवण्णपरिणता ते गन्धओ सुब्भिग० दुब्भिग० रसओ तित्तरस० कडुय० कसाय० अम्बिल० महररस० फासओ कक्खडफास० मध्य० गुरुय० लहुय० सीय० उसिण० णिद्ध० लुक्ख० सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाण० वट्ट० स० चउरंस० आयतसण्ठाणपरिणयावि २०, जे वण्णओ नीलवण्णपरिणता ते गन्धओ सुब्भिगन्ध० दुब्भि० रसओ तित्त० कडुय० कसाय० अम्बिल. मह२० फासओ कक्खडफास० मध्य० गुरुय० लहुय० सीत. उसिण. निद्ध० लुक्ख० सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाण० वट्ट० स० च्रंस० आयत० २०. जे वण्णओ || श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal Use Only

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