Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org महर० फासओ गुरुयफास० लहुय० सीत० उसिण० णिद्ध० लुक्ख० सण्ठाणतो परिमण्डलसण्ठाण वट्ट० तंस० चउरंस० आयतसण्ठाणपरिणयावि २३ जे फासओ मउयफासपरिणता ते वण्णओ कालवण्ण० नील० लोहिय。 हालिद्द० सुक्किल्ल० गन्धओ सुब्भिगन्ध० दुब्भि० रसओ तित्तरस० कडुय० कसाय० अम्बिल० महर० फासओ गुरुय० लहय० सीत० उसिण० णिद्ध० लुक्ख० |सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाण वट्ट० तंस० चउरंस० आययसण्ठाणपरिणयावि २३, जे फासओ गुरुयफासपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणतावि नील० लोहिय。 हालिद्द० सुक्किल० गन्धओ सुब्भिगन्ध० दुब्भि० रसओ तित्तरस० कडुय० कसाय० अम्बिल० महर० फासओ कक्खडफास० मउय० सीय० उसिण० णिद्ध० लुक्ख० सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाण वट्ट० तंस० चउरंस० आययसण्ठाणपरिणयावि २३, जे फासओ लहुयफासपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणतावि नील० लोहिय。 हालिद्द० सुकिल्ल० गन्धओ सुब्भिगन्ध० दुब्भि० रसओ तित्तरस० कड्डुय० कसाय० अम्बिल० महर० फासओ कक्खडफास० मउय० सी० उसिण० णिद्ध० लुक्ख० सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाण० वट्ट० तंस० चउरंस० आययसण्ठगणपरिणयावि २३, जे फासओ सीयफासपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणयावि नील० लोहिय。 हालिद्द० सुकिल्ल० गन्धओ सुब्भिगन्ध० दुब्भि० रसओ तित्तरस० कडुय० कसाय० अम्बिल० महर० फासओ कक्खडफास० मउय० गुरुय० लहुय० निद्ध० लुक्ख० सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाण वट्ट० तंस० चउरंस० आयतसण्ठगणपरिणयावि २३, जे फासओ उसिणफासपरिणता ते वण्णओ ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only

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