Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 278
________________ 236 ] [ राजप्रश्नीयसूत्र 30 87 87 सालभंजिया 25, 32, 63, 66, 70, 119 / सुत्तखेड्ड 208 सालि सुपइट्ट 70 सालितंदुल सुपइट्ठाण 101, 107 सालिंगणवट्टिय सुभग 27, 87 सालीपिट्ठ सुयनाण 160, 161 सावस्थीनयरी 133, 134, 136, 140, 141 सुरभिगंधकासाइय 115 149, 151 सुवण्णकूला 108 सासया सुवण्णजुत्ति 208 सिक्कग(य) 66, 70, 66,67 सुवण्णपाग 208 सिग्घगमण 25 सुवण्णागार सिज्जा 167 सुसरा 22, 23 सिद्धत्थय 108 सुहम्मा-सभा 11, 21, 22, 91, 67, 102 सिद्धायतण 99, 101, 116, 117 120, 121, 125 सिद्धिगइनामधेय-ठाण 14 सूई 26, 63, 87 सिप्पायरिय 167 सूईपुडंतर 87 सिप्पी सूईफलय 87 सिरिवच्छ 27, 37, 100 सिरीसिव 129, 147 सूणगलंछण 188 सिल 177, 178 सूरियकंत-कुमार 131, 202 सिलोग 208 सूरियकता-देवी 131, 166, 202, 203 सिव 8, 14, 118 सूरियाभदेव 11, 21 22, 40, 106, 204 सिवमह 136 सूरियाभविमाण 11, 21, 22, 62, 106, सिहर 111, 204 सिहरी 108 सूरियाभाइ सीता 108 सूरिल्लियमंडवग सीतोदा 108 सूल भिन्नग 169 सीमंकर सूलाइग सीमंधर सेयराया सीय 3, 73 सेज्जा 144, 148, 151 सीलव्वय 201 सेटिठ 136, 175 सीसघडि सेणाव 139, 175 सीसच्छिण्ण 180 सेय 104 सीसभारग 188 सेयविया-नयरी 128, 145, 146, 147, 149 सीहासण 13, 14, 33, 47, 71,74, 80 150, 151, 157, 167, 168, 166, 197, 98, 106, 107, 115, 119, 121 208 सोगंधि 17, 27 100 सुत्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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