Book Title: Agam 11 Vivagsuya Ekkarasam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 13
________________ समाणी बहिहं मित्त-जाव सद्धिं परिवडा रोयमामी कंदमाणीविलवमाणी विजयमित्तस्स सत्थवाहस्स लोइयाइं मयकिच्छाई करेइ ते णं सा सुभद्दा सत्थवाही अण्णया कयाई लवणसमुद्दोत्तरणं च सत्थविणासं च पोयविणासं च पइमरणं च अनुचिंतेमाणी-अनुचिंतेमाणी कालधम्मुणा संजुत्ता । [१६] तए णं ते नगरगुत्तिया सुभदं सत्थवाहिं कालगयं जाणित्ता उज्झियगं दारगं साओ गिहाओ निच्छु ति निच्छुभेत्ता तं गिहं अण्णस्स दलयंति, तए णं से उज्झियए दारए साओ गिहाओ निच्छूढे समाणे वाणियगामे नगरे सिंघाडग-जाव पहेसु जूयखलएसु वेसघरेसु पाणागारेसु य सुहंसुहेणं परिवड्ढइ, तए णं से उज्झिए दारए अणोहट्टए अनिवरिए सच्छंदमई सइरप्पयारे मज्जप्पसंगी चोर-जयवेस-दारप्पसंगी जाए यावि होत्था । तए णं से उज्झियए अण्णया कयाइ कामज्झायाए गणियाए सद्धिं संपलग्गे जाए यावि होत्था, कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ, तए णं तस्स विस्यक्खंधो-१, अज्झयणं-२ जयमित्तस्स रण्णो अण्णया कयाइं सिरीए देवीए जोणिसूले पाउब्भूए यावि होत्था, नो संचाएइ विजयमित्ते राया सिरीए देवीए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भंजमाणे विहरित्तए तए णं से मित्ते राया अण्ण-या कयाइ उज्झियए दारए कामज्झयाए गणियाए गिहाओ निच्छभावेइ निच्छभावेत्ता कामज्झयं गणियं अभिंतरियं ठवेइ ठवेत्ता कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भंजमाणे विहरड़ । तए णं से उज्झियए दारए कामज्झयाए गणियाए गिहाओ निच्छुभेमाणे कामज्झयाए गणियाए मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववण्णे अन्नत्थ कत्थइ सुइं च रइं च धिइं च अविंदमाणे तच्चित्ते तम्मणे तल्लेस्से तदज्झवसाणे तदट्ठोवउत्ते तयप्पियकरणे तब्भावणाभाविए कामज्याए गणियाए बहणि अंतराणि य छिद्दाणि य विवराणि य पडिजागरमाणे-पडिडागरमाणे विहरइ । तए णं से उज्झियए दारए अण्णया कयाइ कामज्झयाए गणियाए अंतरं लभेइ लभेत्ता कामज्झयाए गणियाए गिह रहसियं अनप्पविसइ अनप्पविसित्ता कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भंजमाणे विहरइ । इमं च णं मित्ते राया ण्हाए जाव पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए मणुस्सवग्गुरापरिखित्ते जणेव कामज्झयाए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तत्थ णं उज्झियए दारए कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणं पासइ पासित्ता आसुरुत्ते रुटे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे तिवलिं भिउडि निडाले साहट्ट उज्झियगं दारगं परिसेहिं गिण्हावेइ गिण्हावेत्ता अट्ठि-मुट्ठिजाण-कोप्परपहार-संभग्ग-महियगत्तं करेइ करेत्ता अवओडग-बंधणं करेइ करेत्ता एएणं विहाणेणं वज्झं आणवेइ एं खल गोयमा उज्झियए दारए पुरा पोराणाणं कम्माणं जाव पच्चणब्भवमाणे विहरड़ । [१७] उज्झियए णं भंते! दारए इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ? कहिं उववज्जिहिइ? गोयमा! उज्झियए दारए पणुवीसं वासाइं परमाउं पालइत्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे सूलीभिण्णे कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएसु नेरइयत्ताए उववज्जिहिइ, से णं तओ अनंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयड्ढगिरिपायमले वानरकुलंसि वानरत्ताए उववज्जिहिइ, से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे तिरियभोगेसु मुच्छिए गिद्धे गढिए [दीपरत्नसागर संशोधितः] [12] [११-विवागसूयं]

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