Book Title: Agam 11 Vivagsuya Ekkarasam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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तए णं से सगडे दारए सुदरिसणाए गणियाए गिहाओ निच्छुभेमाणे अन्नत्थ कत्थइ सुइं वा अलभ० अन्नया कयाइं रहिस्सयं सुदरिसणाए गिहं अनुप्पविसइ अनुप्पविसित्ता सुदरिसणाए सद्धिं उरालाई माणुस्साई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ ।
इमं च णं सुसेणे अमच्चे पहाए जाव विभूसिए मणुस्सवग्गुरापरिक्खित्ते जेणेव सुदरिसणा गणियाए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सगडं दारयं सुदरिसणाए गणियाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुंजमाणं पासइ पासित्ता आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउंडि निडाले दारयं पुरिसेहिं गिण्हावेइ गिण्हावेत्ता अट्ठि जाव महियगत्तं करेइ करेत्ता अवओडय-बंधणं करेइ करेत्ता जेणेव महचंदे राया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी
सा
एवं खलु सामी ! सगडे दारए ममं अंतेउरंसि अवरद्धे, तए णं से महचंदे राया सुसेणं अमचं एवं वयासी-तुमं चेव णं देवाणुप्पिया सगडस्स दारगस्स दंडं वत्तेहिं, तए णं से सुसेणे अमच्चे महचंदेणं रण्णा अब्भणुण्णाए समाणे सगडं दायरं सुदरिसणं च गणियं एएणं विहाणेणं वज्झं आणवेइ, तं एवं खलु गोयमा! सगडे दारए पुरा पोराणाणं जाव पच्चणुभावमाणे विहरइ ।
[२६] सगडे णं भंते दारए कालगए कहिं गच्छि ? कहिं उववज्जिहि ? गोयमा ! सगडे णं दारए सत्तावण्णं वासाइं परमाउयं पालइत्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे एगं महं अयोमयं तत्तं समजोइभूयं इत्थिपडिमं अवतासाविए समाणे कालमासे लं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयत्ता उववज्जिहिइ, से णं तओ अनंतरं उव्वट्टित्ता रायगिहे नयरे मातंगकुलंसि जमलत्ताए पच्चायाहिइ, तए णं
तस्स
दारगस्स अम्मापियरो निव्वत्तबारसाहस्स इमं एयारूवं गोण्णं नामधेज्जं करिस्संति, तं होउ णं दारए सगडे नामेणं होउ णं दारिया सुदरिसणा नामेणं ।
तणं से सगडे दारए उम्मुक्कबालभावे० जोव्वणगमणुप्पत्ते भविस्सइ, तए णं सा सुदरिसणावि दारिया उम्मुक्कबालभावा विण्णय० जोव्वणगमणुप्पत्ता रूवेण य जोव्वण्णेण य लावणे
य
सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-४
उक्किट्ठा उक्किट्ठा-सरीरा भविस्सइ ।
तए णं से सगडे दारए सुदरिसणाए रूवेणं य जोव्वणेण य लावण्णेण य मुच्छि सुदरिसणाए भइणीए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाइ भोगभोगाई भुंजमाणे विहरिस्सइ, तए णं से सगडे दा अण्णया कयाइ सयमेव कूडग्गाहत्तं उवसंपज्जित्ता णं विहरिस्सइ ।
तए णं से सगडे दारए कूडग्गाहे भविस्सइ- अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे एयकम्मे० सुबहु पावकम्मं समज्जिणित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएस नेरइयत्ताए उववज्जिहइ, संसारो तहेव जाव- पुढवीसु, से णं तओ अनंतरं उव्वट्टित्ता वाणारसीए नयरी मच्छता उववज्जिहिइ, से णं तत्थ मच्छबंधिएहिं वहिए तत्थेव वाणारसीए नयरीए सेट्ठिकुलंसि पुत्तात्ता पच्चायाहिइ, बोहिं, पव्वज्जा, सोहम्मे कप्पे महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ,
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• पढमे सुयक्खंधे चउत्थं अज्झयणं समत्तं •
मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च चउत्थं अज्झयणं समत्तं
[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
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[११-विवागसूयं]
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