Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Mool Sthanakvasi Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman Publisher: Global Jain Agam Mission View full book textPage 7
________________ प्रश्नव्याकरण सुतं जे वि य करेंति पावा, पाणवहं तं णिसामेह ॥३॥ २ पाणवहो णाम एसो जिणेहिं भणिओ- पावो, चंडो, रुद्दो, खुद्दो, साहसिओ, अणारिओ, णिग्घिणो, णिस्संसो, महब्भओ, पइभओ, अइभओ, बीहणओ, तासणओ, अणज्जओ (तज्जणओ), उव्वेयणओ य, णिरवयक्खो, णिद्धम्मो, णिप्पिवासो, णिक्कलुणो, णिरयवासगमणणिधणो, मोहमहब्भयपयट्टओ, मरणवेमणस्सो । एस पढमं अहम्मदारं ॥ तस्स य णामाणि इमाणि गोण्णाणि होंति तीसं, तं जहा- पाणवहं, उम्मूलणा सरीराओ, अवीसंभो, हिंसविहिंसा तहा, अकिच्चं च, घायणा य, मारणा य, वहणा, उद्दवणा, तिवायणा य, आरंभसमारंभो, आउयक्कम्मस्सुवद्दवो भेयणिट्ठवण - गालणा य संवट्टगसंखेवो, मच्चू, असंजमो, कडगमद्दणं, वोरमणं, परभव- संकामकारओ, दुग्गइप्पवाओ, पावकोवो य, पावलोभो, छविच्छेओ, जीवियंतकरणो, भयंकरो, अणकरो, वज्जो, परियावणअण्हओ, विणासो, णिज्जवणा, लुंपणा, गुणाणं विराहणत्ति य । तस्स एयाणि एवमाईणि णामधिज्जाणि होंति तीसं, पाणवहस्स कलुसस्स कडुयफल देसगाई ॥ दुविहगाह तं च पुण करेंति केइ पावा असंजया अविरया अणिहुयपरिणामदुप्पयोगा पाणवहं भयंकरं बहुविहं बहुप्पगारं परदुक्खुप्पायणसत्ता इमेहिं तसथावरेहिं जीवेहिं पडिणिविट्ठा । किं ते ? 9 पाठीण- तिमि - तिमिंगल-अणेगझस-विविहजाइमंडुक्क-दुविहकच्छभ-णक्क-मगर दिलिवेढय- मंडुय-सीमागार - पुलुय- सुंसुमार- बहुप्पगारा जलयरविहाणा कते य एवमाई । कुरंग - रुरु-स - रुरु - सरस चमर-संबर - उरब्भ-ससय-पसय-गोण-रोहिय- हय-गय-खर- करभ खग्ग- वाणर- गवयविग-सियाल-कोल-मज्जार-कोलसुणग-सिरियंदल -गावत्त कोकंतिय-गोकण्ण-मिय-महिस- वियग्घछगल-दीविय-साण- तरच्छ-अच्छ- भल्ल - सद्दूल-सीह - चिल्लला - चउप्पयविहाणाकए य एवमाई | अयगर-गोणस-वराहि-मउलि-काओदर - दब्भपुप्फ- आसालिय-महोरगोर- गविहाणाकए य एवमई । छीरल - सरंब - सेह - सेल्लग - गोधा उंदुर णउल - सरड - जाहग-मुगुंस-खाडहिल - वाउप्पिय घिरोलिया सिरीसिवगणे य एवमाई । कादंबक-बक-बलाका-सारस-आडासेईय-कुलल-वंजुल पारिप्पव-कीर- सउण-दीविय-हंस-धत्तरिट्ठगभास-कुलीकोस-कोंच-दगतुंड ढेणियालग सुईमुह-कविल-पिंगलक्खग-कारंडग- चक्कवाग- उक्कोसगरुल-पिंगुल-सुय-बरहिण-मयणसाल-णंदीमुह-णंदमाणग-कोरंग भिंगारग-कोणालग-जीवजीवग w তাত १० ११ - - तित्तिर वट्टग-लावग-कपिंजलग- कवोतग-पारेवग- चिडिग-ढिंक-कुक्कड- वेसर-मयूरग-चउरगहयपोंडरीय-करकरग चीरल्ल - सेण- वायस - विहग - सेयचास (विहग सेण सिणचास) वग्गुलि चम्मट्ठिल-विययपक्खी- समुग्गपक्खी खहयर - विहाणाकए य एवमाई । जल-थल-खग-चारिणो उ पंचिंदियपसुगणे बिय-तिय- चउरिंदिए विविहे जीवे पियजीविए मरणदुक्खपडिकूले वराए हणंति बहुसंकिलिट्ठकम्मा । इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं, किं ते ? चम्म-वसा - मंस-मेय-सोणिय- जग- फिप्फिस-मत्थुलुंगहिययंत-पित्त-फोफस-दंतट्ठा अट्ठिमिंज णह-णयण - कण्ण-पहारुणि-णक्क-धमणि-सिंग- दाढि पिच्छविस-विसाण-वालहेउं । हिंसंति य भमर-महुकरिगणे रसेसु गिद्धा तहेव तेइंदिए सरीरोवगरणट्ठ-याए, किवणे बेइंदिए बहवे वत्थोहर-परिमंडणट्ठा । 2Page Navigation
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