Book Title: Agam 09 Anuttaropapatik Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 7
________________ आगम सूत्र ९, अंगसूत्र-९, 'अनुत्तरोपपातिकदशा' वर्ग/अध्ययन/ सूत्रांक वर्ग-२ सूत्र -३ हे भगवन् ! यदि श्रमण भगवान महावीर ने अनुत्तरोपपातिक-दशा के प्रथम वर्ग का पूर्वोक्त अर्थ प्रतिपादन किया है तो श्रमण भगवान महावीर ने अनुत्तरोपपातिक-दशा के द्वितीय वर्ग का क्या अर्थ प्रतिपादन किया है ? हे जम्बू ! द्वितीय वर्ग के तेरह अध्ययन प्रतिपादन किये हैं, जैसेसूत्र-४ दीर्घसेन, महासेन, लष्टदन्त, गूढदन्त, शुद्धदन्त, हल्ल, द्रुम, द्रुमसेन, और महाद्रुमसेन कुमार । तथासूत्र-५ सिंह, सिंहसेन, महासिंहसेन और पुण्यसेन कुमार । इस प्रकार द्वितीय वर्ग के तेरह अध्ययन होते हैं। सूत्र-६ हे भगवन् ! यदि श्रमण भगवान महावीर ने अनुत्तरोपपातिक-दशा के द्वितीय वर्ग के तेरह अध्ययन प्रतिपादन किये हैं तो फिर हे भगवन् ! द्वितीय वर्ग के प्रथम अध्ययन का क्या अर्थ प्रतिपादन किया है ? हे जम्बू ! उस काल और उस समय में राजगृह नगर था । गुणशैलक चैत्य था । श्रेणिक राजा था । धारिणी देवी थी। उसने सिंह का स्वप्न देखा । जालिकुमार समान, जन्म हुआ, बालकपन रहा और कलाएं सीखीं । विशेषता इतनी कि नाम दीर्घसेनकुमार रखा गया । यावत् महाविदेह क्षेत्र में मोक्ष प्राप्त करेगा इत्यादि। इसी प्रकार तेरह अध्ययनों के तेरह कुमारों के विषय में जानना । ये सब राजगृह नगर में उत्पन्न हए । महाराज श्रेणिक और महाराणी धारिणी देवी के पुत्र थे । सोलह वर्ष तक संयम पालन किया । इसके अनन्तर क्रम से दो विजय विमान, दो वैजयन्त विमान, दो जयन्त विमान और दो अपराजित विमान में उत्पन्न हए । शेष महाद्रुम-सेन आदि पाँच सर्वार्थसिद्ध विमान में उत्पन्न हुए । हे जम्बू ! इस प्रकार श्रमण भगवान महावीर ने अनुत्तरोपपातिक दशा के द्वितीय वर्ग का अर्थ प्रतिपादन किया है। वर्ग-२-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत्' (अनुत्तरोपपातिकदशा)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 7

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