Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan
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पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया, तेणं कालेणं० अज्जसुहुभ्मस्स अणगारस्स जेटे अंतेवासी अजजंबू णामं अणगारे कासवगोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव अजसुहम्मस्स थेरस्म अदूरसामंते उद्धंजाणू अहोसिरे झाणकोहोवगते संजमेणं तवसा अपाणं भावेमाणे विहरति, तते णं से अज्जजंबूणामे० जायसड्ढे जायसंसए जायकोउहल्ले संजातसड्ढे संजातसंससए संजायकोउहल्ले उम्पन्नसड्ढे उम्पन्नसंसए उम्पनकोउहल्ले समुप्पनसड्ढे समुप्पनसंसए समुष्पनकोउहल्ले उठाए उठेति त्ता जेणामेव अजसुहम्मे थेरे तेणामेव उवागच्छति त्ता थेरे( सुहम्म थेरं पा० )तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता वंदति नमंसति त्ता अजसुहम्मस्स थेरस्स णच्चासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहं पंजलिउडे विणएणं पजुवासभाणे एवं व्यासी जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थग० सयंसंबु० पुरिसु० पुरिससी० पुरिसव० पुरिसवरंग० लोगु० लोगनाहेणं लोगहिएणं लोग५० लोगपजोय० अभयद० चक्खुद० मग्गद० सरणद० बोहिद० धम्मद० धम्मदे० धम्मना० धम्मसा० धम्मवरचा० अप्पडिह० वियदृछ० जिणेणं जाणएण(प्र० जावएणं तिनेणं तार० बुद्धेणं बोहएणं मुत्तेणं मोअगेणं सवण्णेणं सव्वद० सिवमयलमरुतमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावित्तियं सासयं ठाणमुवगतेणं पंचमस्स अंगस्स अयमढे पत्रत्ते, छट्ठस्सणं अंगस्स भंते ! ायाधम्मकहाणं के अटे पनत्ते ?, जंबूत्ति तए णं अज्जसुहम्मेहेरे अज्जजंबूणाम अणगारं एवं क्यासी एवं खलु जंबू ! सभणेणं भगवता महावीरेणं जाव संपत्तेणं छठुस्स अंगस्स दो सुयक्खंधा पं० तंजहाणायाणिय धम्मकहाओय जति णं भंते ! समणेणं भगवता महावीरेणंजाव संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्सदो सुयखंधा पं०० णायणि यधम्मकहाओ ॥श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गम् ॥
[पू. सागरजी म. संशोधित
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