Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan
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| सेणियस्स रन्नो' इट्ठा जाव विहरइ । ८। तए णं सा धारिणी देवी अन्नया क्याइ तंसि तारिसगंसि छक्कट्ठक्लट्ठमट्ठसंठियखंभुग्गयं | पवरवर सालभंजियउज्जलमणिकणगरतणभूमिय (प्र० थूभियचिलंक ) विडंकजालद्धचंदणिज्जूह कं तर कणयालिचंदसालियाविभत्तिकलिते सरसच्छधाऊवलवण्णरइए बाहिरओ दूमियघट्टभट्टे अभितरओ पत्त( प्र० प्रसत्त) सुवि(प्र० इ) लिहियचित्तकम्मे णाणाविहपंचवण्णमणिरयणकोट्टिमतले पउमलयाफुल्लवल्लिवरपुप्फजातिउल्लोयचित्तियतले वं (प्र० चं ) दणवरकणगकलससुविणिम्मियपडिपुंजि(पूजि पा० ) यसरसपर मसोहं तदारभाए पयरगलं बंतमणिमुत्तदामसुविरइयदार सोहे सुगंधवर कुसुममउयपम्हलसयणोवयारे मणहिययनिव्वुइयरे कप्पूरलवंगमलयचंदनकालागुरुपवर कुंदुरुक्क तुरुक्क थूवड अंतसुरभिमघमघंतगंद्धयाभिरामे सुगंधवरगंधि ( प्र० गंधगंधि )ए गंधवट्टिभूते मणिकिरणपणासियंधकारे, किं बहुणा ?. जुइगुणेहिं सुरवर विमाणवेलंबियवरघरए, तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि सालिंगणवट्टिए उभओ बिब्बोयणे दुहओ उन्नए मज्झेणयगंभीरे गंगापुलिणवालुया उद्दालसालिसए उयचि (प्र० ओयवि यखोमदुगुल्ल पट्टपडिच्छण्णे अच्छरयमलयनय(प्र० नवय ) त्यकु सत्तलिंबसीह के सरपच्चुत्थए सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे आइणगरुयबूरणवणीयतुल्लफासे पुव्वरत्नावरतकालसमयंसि सुत्नजागरा ओहीरमाणी २ एगं महं सत्तुस्सेहं रययकूडसन्निहं नहयलंसि सोमं सोमागारं लीलायंतं जंभायमाणं मुहमतिगयं गयं (जाव सीहं सुविणे पा० ) पासित्ताणं पडिबुद्धा • तते णं सा धारिणी ||देवी अयमेयारूवं उरालं कल्लाणं सिव धन्नं मंगल्लं सस्सिरीयं महासुमिणं पासित्ताणं पडिबुद्धा समाणी हट्टतुट्ठा चित्तमाणंदिया पीड़मणा
॥ श्री ज्ञाता धर्मकथाङ्गम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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