Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan
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॥श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गम् ॥
ॐ नमः सर्वज्ञाय तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपानाभं नयरी होत्था वण्णओ।१।तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरिच्छमे दिसीभाए पुण्णभद्दे नामं चेइए होत्था, वण्णओ।२ । तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिको नाम राया होत्था, वण्णओ । ३ । तेणं काले० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अजसुहम्मे नाम थेरे जातिसंपन्ने कुलसंपण्णे बलरूवविणयणाणदसणचरित्तलाघवसंपण्णे ओयंसी तेयंसी वच्चंसि जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोहे जियइंदिए जियनिद्दे जियपरिसहे जीवियासमरणभयविष्यमुक्के तवष्पहाणे गुणप्पहाणे एवं करणचरणनिगहणिच्छ यअजवमहवलाघवखंतिगुत्तिमुत्ति १० विज्जामंतबंभवयनयनियमसच्चसायणाणदंसणे २० चारित्त० ओराले घोरे घोरव्वए घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्तविउलतेयलेसे चोदसपुची चणाणोवगते पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुब्दि चरमाणे गामाणुगामं दूतिजमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपानगरी जेणेव पुण्णभद्दे चेतिए तेणामेव उवागच्छइ त्ता अहापडिरूवं उगहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अपाणं भावमाणे विहरति । ४ । तए णं चंपानयरीए परिसा निग्गया कोणिओ निग्गओ धम्मो कहिओ परिसा जामेव दिसं ॥श्रीजाताधर्मकथाङ्गम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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