Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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भगवई सुत्त गोयमा ! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला भिज्जंति, तं जहा- अणू चेव बायरा चेव। १५ णेरड्याणं भंते ! कइविहा पोग्गला चिज्जंति ?
गोयमा ! आहार दव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला चिज्जंति, तं जहा- अणू चेव बायरा चेव । एवं उवचिज्जंति । णेरइयाणं भंते ! कइविहा पोग्गला उदीरेंति ? गोयमा ! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहे पोग्गले उदीरेंति, तं जहा- अणू चेव बायरा चेव । सेसा वि एवं चेव भाणियव्वा- वेदेति णिज्जति । उव्वडिसु उव्वर्टेति उव्वहिस्संति । संकामिंसु , संकामेति संकामिस्संति। णिहत्तिंसु णिहतेंति णिहत्तिस्संति । णिकायिंति णिकायिंसु णिकायिस्संति।
भेदिय चिया उवचिया, उदीरिया वेइया य णिज्जिण्णा । उववट्टण संकामण, णिहत्तण णिकायणे तिविहकालो ||
णेरड्या णं भंते ! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गेहंति, ते किं तीयकालसमए गेण्हंति, पडुप्पण्णकालसमए गेण्हंति, अणागयकालसमए गेहंति ? गोयमा ! णो तीयकालसमए गेण्हंति, पडुप्पण्णकालसमए गेण्हंति, णो अणागयकालसमए गेण्हति ।
णेरड्या णं भंते ! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गहिए उदीरेंति, ते किं तीयकाल-समयगहिए पोग्गले उदीरेंति? पडुप्पण्णकालसमयघेप्पमाणे पोग्गले उदीरेंति ? गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति ? गोयमा ! तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेंति, णो पडुप्पण्णकाल-समयघेप्पमाणे पोग्गले उदीरेंति, णो गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति। एवं वेदेति, णिज्जरेंति । णेरइया णं भंते ! जीवाओ किं चलियं कम्मं बंधंति ? अचलियं कम्मं बंधंति ?
गोयमा ! णो चलियं कम्मं बंधंति, अचलियं कम्मं बंधंति ।
णेरड्या णं भंते ! जीवाओ किं चलियं कम्मं उदीरेंति ? अचलियं कम्मं उदीरेंति ?
गोयमा ! णो चलियं कम्मं उदीरेंति, अचलियं कम्मं उदीरेंति । एवं वेदेति, उवढेंति, संकामेंति, णिहत्तेंति, णिकायिंति । सव्वेसु अचलियं, णो चलियं।
णेरइया णं भंते ! जीवाओ किं चलियं कम्मं णिज्जरेंति ? अचलियं कम्मं णिज्जरेंति ?
गोयमा ! चलियं कम्मं णिज्जरेंति, णो अचलियं कम्मं णिज्जरेंति। गाहा
बंधोदय वेदोयट्ट, संकमे तह णिहत्तण णिकाये । अचलियं कम्मं तु भवे, चलियं जीवाओ णिज्जरए |
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