Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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भगवई सुत्त
गोयमा ! असंवुडे अणणारे आउयवज्जाओ सत्तकम्मपगडीओ सिढिलबंधण बद्धाओ घणियबंधणबद्धाओ पकरेइ, हस्सकालठिइयाओ दीहकालठिड्याओ पकरेइ, मंदाणुभावाओ तिव्वाणुभावाओ पकरेइ, अप्पपएसगाओ बहुप्पएसगाओ पकरेई, आउयं च णं कम्मं सिय बंधइ सिय णो बंधइ, अस्सायावेयणिज्जं च णं कम्मं भुज्जो भुज्जो उवचिणइ, अणाईयं चणं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियट्टइ, से तेणद्वेणं गोयमा ! असंवुडे अणगारे णो सिज्झइ जाव णो अंतं करे ।
संवुडे णं भंते ! अणगारे सिज्झइ जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ?
हंता, सिज्झइ जाव अंतं करेइ ।
सेकेणणं भंते! जाव अंतं करेइ ?
गोयमा ! संवुडे अणगारे आउयवज्जाओ सत्तकम्मप्पगडीओ घणियबंधण- बद्धाओ सिढिलबंधणबद्धाओ पकरेइ, दीहकालट्ठिइयाओ हस्सकालट्ठिइयाओ पकरेइ, तिव्वाणुभावाओ मंदाणुभावाओ पकरेइ, बहुप्पएसगाओ अप्पपएसगाओ पकरेइ, आउयं च णं कम्मं ण बंधइ, असायावेयणिज्जं च णं कम्मं णो भुज्जो भुज्जो उवचिणाइ, अणाईयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं वीईवयइ। से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ- संवुडे अणगारे सिज्जइ जाव अंत करे ।
जीवे णं भंते ! असंजए अविरइए अप्पsिहयपच्चक्खायपावकम्मे इओ चुए पेच्चा देवे सिया ? गोया ! अत्थेगइ देवे सिया, अत्थेगइए णो देवे सिया ।
से केणट्ठेणं भंते ! जाव इओ चुए पेच्चा अत्थेगइए देवे सिया, अत्थेगइए णो देवे सिया ? गोयमा ! जे इमे जीवा गामागर-णगरणिगमरायहाणी खेडकब्बडमडंब - दोणमुहपट्टणासमसण्णिवेसेसु अकामतण्हाए अकामछुहाए अकामबंभचेरवासेणं अकामसीतातव-दंसमसग अकामअण्हाणग-सेयजल्लमलपंकपरिदाहेणं अप्पतरं वा भुज्जतरं वा कालं अप्पाणं परिकिलेस्संति, अप्पाणं परिकिलेस्सित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु वाणमंतरेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति ।
रिसा णं भंते! तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोया पण्णत्ता ?
गोयमा ! से जहाणामए इह मणुस्सलोगम्मि असोगवणे इ वा सत्तवण्णवणे इ वा, चंपयवणे इवा, चूयवणे इ वा, तिलगवणे इ वा लाउवणे इ वा, णिग्गोहवणे इ वा, छत्तोहवणे इ वा, असणवणे इ वा सणवणे इ वा, अयसिवणे इ वा, कुसुंभवणे इ वा, सिद्धत्थवणे इ वा बंधुगवणे इवा, णिच्चं कुसुमिय माइय- लवड्य-थवइय- गुलुइय-गोच्छिय-जमलिय-जुवलियविणमिय-पणमिय सुविभत्तपिंडिमंजरि-वडेंसगधरे सिरीए अईव अईव उवसोभेमाणे उवसोभेमाणे चिट्ठइ, एवामेव तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा जहण्णेणं दसवाससहस्सट्ठिइएहिं उक्कोसेणं पलिओवमट्ठिइएहिं बहूहिं वाणमंतरेहिं देवेहिं तद्देवीहि य आइण्णा विकिण्णा उवत्थडा संथा फुडा अवगाढगाढा सिरीए अईव उवसोभेमाणा उवसोभेमाणा चिट्ठति । एरिसगा णं गोयमा ! तेसिं च वाणमंतराणं देवाणं देवलोया पण्णत्ता । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वच्चइ- जीवेणं असंजए जाव देवे सिया ।
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