Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 320
________________ २४४ अते गमहत्वय-पदं ५७. अहावरं तच्चं भंते ! महवयं--पच्चक्खामि सव्वं अदिण्णादाण - से गामे वा, गरे वा, अरण्णे वा अप्पं वा, बहुं वा, अणुं वा, थूलं वा, चित्तमंतं वा, अचित्तमंतं वा व सयं अदिण्णं गेण्हिज्जा, ठेवणेहिं अदिष्णं गेण्हावेज्जा, अण्णंपि अदिणं हतं न समणुजाणिज्जा जावज्जीवाए' 'तिविहं तिविहेणं - माणसा वयसा कायसा, तस्स भंते ! पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं • वोसिरामि ॥ अते गमहव्वयस्स भावणा-पदं ५८. तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति । तत्थिमा पढमा भावणा--: | - अणुवीइमिओग्गहजाई से णिग्गंथे, णो अणणुवी इमिओग्गहजाई । केवली बूया - अणणुवी इमि ओहजाई से णिग्गंथे, अदिण्णं गेण्हेज्जा । अणुवीइमिओग्गहजाई से णिग्गंथे, अणुवीमि ओगहजाई ति पढमा भावणा ॥ ५६. अहावरा दोच्चा भावणा अणुण्णवियपाणभोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणणुण्णविपाणभोयणभोई । केवली बूया -अणणुष्णवियपाणभोयणभोई से णिग्गंथे अदिण्णं भुजेज्जा', तम्हा अणुष्णवियपाणभोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणणुष्णविपाणभोयणभोईत्ति दोच्चा भावणा ।। आयारचूला I ६०. अहावरा तच्चा भावणा - णिग्गंथे णं ओग्गहंसि ओग्यहियंसि एतावताव ओग्गहसीलए सिया । केवली बूया - णिग्गंथे णं ओग्गहंसि अणोग्ग हियंसि एतावताव अणोहणसीलो अदिण्णं ओगिव्हेज्जा । णिग्गणं ओगहंसि ओग्गहियंसि एतावताब ओग्गहणसीलए सियत्ति तच्चा भावणा || ६१. अहावरा चउत्था भावणा -- णिग्गंथे णं ओग्गहसि ओग्गहियंसि अभिक्खणंअभिक्खणं ओग्गहणसीलए सिया । केवली बूया - णिग्गंथे णं ओग्गहंसि ओग्गहियंसि अभिक्खणं अभिक्खणं अणोग्गहणसीले अदिण्णं गिण्हेज्जा | सिंथे ओहंसि ओग्गहियंसि अभिक्खणं - अभिक्खणं ओग्गहणसीलए सियत्ति चउत्था भावणा || ६२. अहावरा पंचमा भावणा- अणुवोइमितोग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिएसु, जो arratoमिओ हजाई । केवली बूथा अणणुवीइमिओग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिसु अदिणं ओगिण्हेज्जा । अणुवीइमिओग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिसु, णो अणुवीsमिओग्गहजाई–इइ पंचमा भावणा ॥ ६३. एतावताव महम्वए सम्म' 'काएण फासिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्टिए • १. सं० पा० - जावज्जीवाए जाव वोसिरामि । २. गिव्हेज्जा (घ ) । Jain Education International ३. सं० पा०सम्मं जाव आणाए । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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