Book Title: Adhyatma Barakhadi
Author(s): Daulatram Kasliwal, Gyanchand Biltiwala
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 3
________________ ....प्रस्तावना . ... ... ... : पं. दौलतराम कासलीवाल का जन्म जयपुर रियासत के बसवा कस्बे में हुआ था। आपके पिता का नाम आनन्दराम था। आप जयपुर के राजा जगतसिंह की सेवा में उदयपुर में थे तब वहाँ ही उनकी अध्यात्म सैली (स्हैली/मंडलों के साथी श्री पृथ्वीराज, चतुर्भुज, चीमा पंडित आदि की प्रेरणा से इस ग्रन्थ को रचना संवत् १७९८ में की गई थी। इस 'अध्यात्म रस की भरी' रचना में कवि ने 'अविनासी आनन्दमय आतमराम' को गाया है (३००/१०.११) । पं. दौलतराम कासलीवाल हूँढारी भाषा के जाने-माने जैन कवि हैं। आपके सरस भजन गायकों और श्रोताओं को भगवद्भक्ति और अध्यात्म का रस पिलाते रहे हैं। भजनों के अतिरिक्त आपकी अन्य कृतियाँ भी हैं। अब तक १८ रचनाओं की खोज की जा चुकी हैं। इन रचनाओं को हम निम्न तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं - (i) मौलिक रचनाएँ १. त्रेपन क्रियाकोश, २. जीवंधर चरित, ३. अध्यात्म बारहखड़ी, ४. विवेक विलास, ५. श्रेणिकचरित, ६. श्रीपालचरित, ७, चौबीस दण्डक, ८, सिद्ध पूजाष्टक। (ii) अनूदित रचनाएँ ( भाषा वचनिका) १. पुण्यास्त्रत्र कथाकोष, २. पद्मपुराण, ३. आदिपुराण, ४. पुरुषार्थ सिद्ध्युपाय, ५. हरिवंशपुराण, ६. परमात्मप्रकाश. ७. सारसमुच्चय । (iii) दब्या टीकाएँ १. तत्वार्धसूत्र टब्बा टीका, २. वसुनन्दि प्रावकाचार टब्बा टीका, ३. स्वामी कार्तिकेयानुप्रेक्षा टब्बा टीका। १. महाकवि दौलतराम कासलीवाल : व्यक्तित्व एवं कृतित्व, प्रस्तावना. घ. ४१ - ४२, डॉ. कस्तूरचंद कासलीवाल, साहित्य शोध विभाग, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी. ई. सन् १९७३ ।

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