Book Title: Acharanga Sutram Mul Sahit
Author(s): Ravjibhai Devraj
Publisher: Ravjibhai Devraj

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Page 313
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२) (द्वितीय श्रुतस्कंधः ) -- कलम. पंक्ति. अशुद्धं । शुद्धं कलम. पंक्ति. __ अशुद्धं س سه ५२३ ५३३ ५३६ ر هه له م م ७४३ ७४४ आयाविय (२) पुचोवदिहा पगिाजय से भिक्खू वा ससिणिद्धं से भिक्खू वियालं वयं वा م مه هه ५३७ ५४३ ५४७ ५५१ आयाविय पुद्योवदिट्ठा पगिब्भिय से भिक्खू ससिणिन से भिक्खु वियाल नयं वा फरुस एगवयण डवालिए م سم سم له سم م GGG ३ संसत्तं अफासुयं ७२५ अतिथि फासुयं थूभमहेसु ७५६ रायहाणिंसि एगब्भ अण्णमपणे अभिलंधारेज्जा ७७० गमणाए माहंसु ८०६ एयं ८१६ चित्तमंताए सअंडे णिसविय अवोतं पिपरिवा सिंघाडगं फरुसं एगवयणं उवासिए م एवं م ५६४ ५६६ ५६९ एव सव م संसत्त अफासुय से ज अतिाथ फासुसं थूभमहसु रायहाणिास एगज अण्णमणे अमिसंधारेजा गणमार माहसु एवं चित्तमताए सयंड णिसिकिय अवाळतं पिप्पलिवा सिंधांडगं म्सिस्सं आलाएज्जा पडिग्गहगति चडप्यय पाणाई भूयाई अपुरिसतर० स आहच्च भिक्सू م ب س ५९१ س पाणाइ वेएस्सामो सीते दग दुन्निक्खत्ते मीयाए भलियब्वं वत्थण ६०२ م ع م 2 सेवं पाणाई चेइस्सामो सीतोदग दुनिक्खित्ते मायाए भासियवं वत्थेण एवं अद्धजोयण. अयबंधणाणि वाणं साइमे वा अभिकखसि भिक्खुस्स पडिग्गहगं ه ع urrrr mm000 ९ م م आलेएमा पडिग्गहनसि त्तउप्पय पाणाई भूयाई अपुरिसंतर० से आहज भिक्खू سم ه س ६५१ ६५५ ६५७ ६५७ ६५८ ६५९ : रयं भिक्खुणं भिक्खूणं अद्धजोपण अबबधणाणि वांण सास वा अभिकखसि भिक्खुस्स पडिगग्गहगं रय ससाणद्धाए परदत्तभोगा अहालदं तेण त पयपीडबद्धं सिणादि पडिगाहज्जा उगाहए भिक्खु एवं जव ६६२ ६६४ ६७४ ससणिद्धाए परदत्तभोगी अहालंदं तेण ते | पंथे पडिबद्धं सिणाणादि पडिग्गाहेजा उग्गहिए णा ८८० ६८१ ६८३ ६८६ सोयसमा० मोयसमा० जाय जाव णो चियालेवा वियाले वा पाण वा पाणं वा कम्मरीओ कम्मकरीओ २ | पउिग्गाहेज्जा | पडिग्गाहेजा २ | एवचणं | एवंचणं 90 भिक्खू ९१९ एय ६९३ ७०२ । | जाव For Private and Personal Use Only

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