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(२) (द्वितीय श्रुतस्कंधः )
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कलम. पंक्ति.
अशुद्धं
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शुद्धं
कलम. पंक्ति.
__ अशुद्धं
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५२३ ५३३
५३६
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७४३ ७४४
आयाविय (२) पुचोवदिहा पगिाजय से भिक्खू वा ससिणिद्धं से भिक्खू वियालं वयं वा
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५३७ ५४३ ५४७ ५५१
आयाविय पुद्योवदिट्ठा पगिब्भिय से भिक्खू ससिणिन से भिक्खु वियाल नयं वा फरुस एगवयण डवालिए
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संसत्तं अफासुयं
७२५ अतिथि फासुयं थूभमहेसु ७५६ रायहाणिंसि एगब्भ अण्णमपणे अभिलंधारेज्जा ७७० गमणाए माहंसु ८०६ एयं
८१६ चित्तमंताए सअंडे णिसविय अवोतं पिपरिवा सिंघाडगं
फरुसं
एगवयणं उवासिए
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एवं
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५६४ ५६६ ५६९
एव सव
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संसत्त अफासुय से ज अतिाथ फासुसं थूभमहसु रायहाणिास एगज अण्णमणे अमिसंधारेजा गणमार माहसु एवं चित्तमताए सयंड णिसिकिय अवाळतं पिप्पलिवा सिंधांडगं म्सिस्सं आलाएज्जा पडिग्गहगति चडप्यय पाणाई भूयाई अपुरिसतर० स आहच्च भिक्सू
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५९१
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पाणाइ वेएस्सामो सीते दग दुन्निक्खत्ते मीयाए भलियब्वं वत्थण
६०२
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सेवं पाणाई चेइस्सामो सीतोदग दुनिक्खित्ते मायाए भासियवं वत्थेण एवं अद्धजोयण. अयबंधणाणि वाणं साइमे वा अभिकखसि भिक्खुस्स पडिग्गहगं
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आलेएमा पडिग्गहनसि त्तउप्पय पाणाई भूयाई अपुरिसंतर० से आहज भिक्खू
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६५१ ६५५ ६५७ ६५७ ६५८ ६५९
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रयं
भिक्खुणं
भिक्खूणं
अद्धजोपण अबबधणाणि वांण सास वा अभिकखसि भिक्खुस्स पडिगग्गहगं रय ससाणद्धाए परदत्तभोगा अहालदं तेण त पयपीडबद्धं सिणादि पडिगाहज्जा उगाहए भिक्खु एवं जव
६६२ ६६४ ६७४
ससणिद्धाए परदत्तभोगी अहालंदं तेण ते | पंथे पडिबद्धं सिणाणादि पडिग्गाहेजा उग्गहिए
णा
८८०
६८१ ६८३ ६८६
सोयसमा० मोयसमा० जाय
जाव
णो चियालेवा वियाले वा पाण वा पाणं वा कम्मरीओ
कम्मकरीओ २ | पउिग्गाहेज्जा | पडिग्गाहेजा २ | एवचणं
| एवंचणं
90
भिक्खू
९१९
एय
६९३ ७०२ ।
| जाव
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