Book Title: Acharang Sutram Pratham Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 15
________________ श्रीआचाराङ्ग नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः१ // 4 // नक्रमः क्रमः विषयः सूत्रम् शरीराणां दृश्यत्वं चक्षुःस्पर्शागतपृथिवीशरीरकथनोपसंहारः शेषामाज्ञाग्राहाता / - लक्षणद्वारे उदयलेश्याभेदाः (11) शरीरास्थिदृष्टान्तेन कठिनपृथिवीशरीरे चेतनत्वम् / - पृथिवीकायपरिमाणं क्षेत्रकालयोः सूक्ष्मबादरत्वं कालतः पृथ्वीकायपरिमाणं पृथिवीकायानां परस्परमवगाहः चङ्कमणादिभि(१६)मनुष्याणां पृथ्व्या उपभोग: सुखार्थं परदुःखोदीरकत्वम् / - 5 शस्त्रद्वारे हलकलिकादि समासद्रव्यशस्त्रप्रतिपादनं विभागद्रव्यभावशस्त्र नियुक्तिः पृष्ठः | क्रम: विषयः सूत्रम् नियुक्तिः पृष्ठः प्रतिपादनं पृथ्वीकाये वेदनाः पृथ्वीकायस्याङ्गोपाङ्गरहितत्वेऽपि वेदनाऽस्तित्वं वधद्वारे कुतीर्थिकस्वरूप 77-83 52-55 दृष्टान्तगर्भ कुतीर्थिकस्वरूपनिगमनं कृतकारितानुमतिभिर्वधः पृथिवीकायवधे निदानिदाभ्यां तदाश्रितान्यदृश्यादृश्यजीव८४-८५ 55-56 वधप्रदर्शन पृथिव्या वधे तनिश्रितानां सूक्ष्मादीनां वधः पृथिवीवधविरता गुप्त्यादिमन्तश्चानगारा: / - 95-105 59-61 1.2.6 पृथिवीहिंसका आर्त्तपरियूनादिमन्तः असङ्खयेयजीवसङ्कातरूपा पृथिवीति प्रदर्शनं 86-94 56-58 कृतकारितानुमतिभिः पृथिवीसमारम्भे प्रवृत्तिप्रदर्शनं अन्धादिवत् पृथिवीसमारम्भे प्रवृत्तमतेरहितादि, 1.2.4

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