Book Title: Acharang Sutram Author(s): Vijaysushilsuri, Jinottamsuri Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti View full book textPage 2
________________ मुखपृष्ठ चित्र परिचय पुस्तक में दिये गये चित्रों की एक झलक पर व्याकरण भगवान महावीर के पश्चात् श्री सुधर्मा स्वामी भगवान के पाट पर विराजमान हुए। चित्र में दिखाया गया है कि श्री जम्बू स्वामी पृच्छा कर रहे हैं और श्री सुधर्मा स्वामी उनको उपदेश दे रहे हैं। मुखपृष्ठ पर ऊपर की तरफ समवसरण दिखाया गया है। यह अरिहंत भगवान की प्रवचन सभा कहलाती है। छोटे-बड़े सभी प्राणी बिना किसी भेदभाव के यहाँ आकर भगवान की देशना सुनते हैं। इस अलौकिक प्रवचन सभा का निर्माण देवताओं के द्वारा किया जाता है। इस देव निर्मित समवसरण में तीर्थंकर भगवान ___प्रथम प्रहर में पूर्व द्वार से प्रवेश करते हैं और अशोक वृक्ष के नीच पूर्व दिशा में मुख करके सिंहासन पर विराजमान हो जाते हैं। उस समय देवगण तीनों दिशाओं | में भगवान के जैसे ही तीन प्रतिबिम्बों की रचना करते हैं जिससे चारों तरफ बैठे प्राणियों को भगवान के एक समान | दर्शन हो सकें। इस समवसरण के तीन | गढ़ होते हैं। पहले गढ़ में केवली, मनःपर्यव ज्ञानी, लब्धिधारी तथा सामान्य श्रमण-श्रमणियाँ, देव-देवियाँ बैठते हैं। दूसरे गढ़ में पशु-पक्षी गण आकर बैठते हैं। तीसरे गढ़ में देवताओं तथा मनुष्यों के वाहनों के ठहरने की व्यवस्था होती है। समवसरण के बाहर चारों दिशाओं में बड़ी-बड़ी ध्वजाएँ। फहराती हैं।Page Navigation
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