Book Title: Abhidhan Rajendra kosha Part 3 Author(s): Rajendrasuri Publisher: Abhidhan Rajendra Kosh Prakashan Sanstha View full book textPage 3
________________ प्राप्तिस्थान श्री अभिधान राजेन्द्रकेोष प्रकाशन संस्था C/o श्री राजेन्द्रसूरि जैन ज्ञान मन्दिर, रतन पोल, श्री राजेन्द्रसूरि चोक, अहमदाबाद. मुद्रक : पं. मफतलाल झवेरचंद गांधी नयन प्रि. प्रेस, का. २ - ६१ गांधीरोड, ढींकवावाडी, अहमदाबाद- १ והמהגרים Jain Education International Popu अभिधान राजेन्द्रकोषस्य रचना तु सर्वथा अपूर्वे वाऽस्ति पण्डित शितिकण्ठशास्त्री श्री अभिधान राजेन्द्रकोष ! शब्दकोशोंकी परंपरा में 'अभिधानराजेन्द्र' यथार्थमें एक विशिष्ट उपलब्धि है । श्रीमद् की जीवनसाधनाका यह अत्यंत उदाहरण है। जब इस कोषका पहिला अक्षर लिखा गया तब वे तिरसठ वर्ष के थे । सात भागों में तथा दस हजार पांचसो छियासठ पृष्ठों में प्रकाशित यह कोश वस्तुतः एक विश्वकोष के समान है । जिसमें जिनागमों तथा बिभिन्न दार्शनिक ग्रन्थों के उद्धरण संकलित कर विस्तृत विवेचन किया गया हैं वसंतीलाल जैन — ग्रन्थरत्नकी रचना उनके निष्पत्ति हैं । अन्यथा अभिधान राजेन्द्र कोष जैसे अतिविशाल सम्यग् ज्ञानके सर्वांगी समर्पणकी साहजिक असंभव सा यह कार्य उनसे होता ही नहीं । अभिधानराजेन्द्र कोष सामान्य शब्दकोष नहीं हैं । किन्तु शास्त्रवचनोंकी समीचीन अभिव्यक्ति और अर्थघटनका सर्वश्रेष्ठ सहायक माध्यम है । रमेश आर. जवेरी ――― adityadadadadadadadadadadadadadadadadadadadadadada k For Private Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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