Book Title: Aavashyak Sutram Purv Bhag
Author(s): Bhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

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Page 14
________________ आवश्यक चूणी ज्ञानानि ॥१२॥ STORAGOSSASSUOSIOS डा केस णं पुण एस सद्दे भवेज्जात्त, ततो अतोमुहत्तिय अवायं गच्छइ, ततो से उवगर्य भवइ, ततो धारणं पडइ, ततो धारेति संखेज्ज प्रतिबाधक| वा असंखेज वा कालं, संखेज्जवासाउए संखेज कालं असंखेज्जवासाउए असंखेज्ज कालं धरेइ, एसो सोइंदियदुग्गहो । एत्थ मल्लक दृष्टान्ता सीसो चोदेति, जहा-हेट्ठा सोइंदियउग्गहो दुविहो भणितो, तंजहा- अत्थोवग्गहो वंजणवग्गहो य, ण पुण एएसिं विसेसो भणि-12 | तोत्ति, आयरिओ आह- जो कलंबुयापुप्फसठियस्स सोईदियस्स सद्दपोग्गलेहिं सह संजोगो एस सोइंदियवंजणाग्गहो, अत्थोग्गहो पुण जो सो सद्दो तेण कलंबुयापुप्फागितिणा इंदियएणं जीवस्स उवणीओ, तस्स अत्थस्स जं सामण्णगहणं एस सोइंदियअत्थोग्गहो भण्णइ, भत्थोग्गहस्स ईहाअवायधारणातो अस्थि, वंजणोग्गहस्स पुण अवग्गहणमेत्तमेव, ण तु ईहाअवायधारणाओ तंमि अत्थिति। इदाणं चक्खिदियस्स उग्गहादीणं परूवणा मण्यति, से जहा णामए केइ पुरिसे चक्खिदिएण मसूरगचंदगसंठणसंठिएणं अब्बत् रूवं पासिज्जा, णो चेव णं जाणति-किं खाणुं पुरिसोत्ति, एस एकसमतितो चक्खिदियउग्गहो, ततो अंतोमुहुत्तियं इहं पविसति, जहा-'किं पुण एतं खाणुं होज्जी उदाहु पुरिसोति', ततो सो अंतोमुहुत्तियं अवायं गच्छति, ततो से अवगयं भवति जहाखाणुमेयं, णो पुरिसोत्ति', ततो धारणं पडति, ततो धरेति संखेज्जं असंखेज वा कालं, संखेज्जवासाउए संखिज्जं कालं, असंखज्जवासाउए असंखेज्ज कालं, एस चक्खिदियअत्थोग्गहो, एयस्स पुण चक्खिदियस्स बंजणोग्गहो पत्थिति। इदाणिं घाणिंदियस्स उग्गहादीणि परूवेयवाणि, से जहाणामए कोइ पुरिसे घाणिदिएणं अतिमुत्तगपुष्फचंदगसंठाणसंठिएणं ॥१२॥ अव्वत्तं गंध आधाएज्ज, ण पुण जाणइ कस्सेस गंधोति, 'किं उप्पलस्सी उदाहु अन्नस्स कस्सइ दव्वस्स!' स इक्कसमइतो घाणिदियउग्गहो, एवं तेणेव कमेण जहा सोइंदियस्स, णवरं घाणाभिलावो भाणियब्वो, अत्थोग्गहवंजणोग्गहविसेसोऽवि तहेव । AAAAAAA

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