Book Title: Aatmhatya aur Santhare ki Tulna
Author(s): Jivraj Jain
Publisher: Jivraj Jain

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Page 4
________________ इसप्रकारसंथारातोआत्महत्याकेसिद्धांतऔरव्यवहारसेबिल्कुलअलगप्रकारकाएकविवेकशीलऔरउच्चस्तरी यसोचवालासामाजिकऔरधार्मिकअनुष्ठानसिद्धहोताहै। 2*अंततकवहकिसीकीमददकाइन्तजारकरतारहताहै।(contemplationofSuicideisacryforhelp)जबकोईम ददआतीनहीदिखतीहै,तबवहआत्महत्याकरनेकीकोशिशकरताहै। *संथारेमेंऐसीपरिस्थितियोंकासर्वथाअभावरहताहै।क्योंकिवहनतोमरनेकीऔरनजीनेकीकामनाकरताहै।ज बवहमरनेकीकोईइच्छानहींरखताहैतोउसेकिसव्यक्तिसेमददकीभीचाहनहींरहतीहै। इसइसप्रकारउपरोक्तकसौटी(criteria)भीसंथारेपरलागूनहींहोतीहै। 3.*आत्महत्याकेदौरानभीवह"मरनेएवंजीनेकेबीच"केविचारोंमेंझूलतारहताहै।(Heiscaughtinaconflictbet weenthewishtoliveandurgetodie). यहभीएकमहत्त्वपूर्णकसौटी(criteria)है। वहअपनेमानसिकदर्दसेछुटकारापानेकेबारे निरंतरसोचमेंडूबारहताहै।लेकिनजबउससेहारकर,यहमाननाप इताहैकिउसकोसमझनेवालायासुननेवालाकोईव्यक्तिनहींहै,तबवहअपनेप्राणोकोझटकेमेंयाशीघ्रातिशीघ्रस माप्तकरनेकाप्रयासकरताहै। संथारेमेंऐसीसोचवपरिस्थितियोंकास्पष्टतःअभावरहताहै। 4*तनाव औरअवसादग्रस्तमनकीअसामान्यस्थितिमेंवहसोचनेलगताहैकिजिंदगीजीनेलायकनहींहै।आत्मह त्या,उसकीअस्थायीसमस्याकाएकस्थायीउपायकेरूपमेंउभरकरसामने आतीहै। लेकिनसंथारेमेंव्यक्तिद्धारासुविवेकसेलियागया,स्वतंत्रनिर्णयहोताहै।वहभीजीवनकीअंतिमअवस्थामें। (D)आत्महत्याकेअन्यपक्ष आत्महत्याकीसोचवालेअधिकांशतःअवसाद औरमानसिकसंतापसेग्रसितरहतेहैं।

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