Book Title: Aatmhatya aur Santhare ki Tulna Author(s): Jivraj Jain Publisher: Jivraj Jain View full book textPage 2
________________ (B)संथारा इसकेसैद्धांतिक,टेक्नीकलऔरव्यवहारिकपक्ष जबकिसीव्यक्तिकोऐसासमझमेंआताहैकिअबउसकाअंतिमसमय आगयाहै,तबपुनर्जन्ममेंविश्वासरखनेवा ला,बिनाकिसीअवसादवदुःखसेग्रसितहुए,5प्रकारकीइच्छाओंसेविमुक्तहोकर,परिवारऔरआत्मसाक्षीसे संथा रकासंकल्पलेताहै।यहसंकल्पलेतेवक्तवहजानऔरसमझरहाहैकिउसेनिम्नलिखितइच्छाएँनहींहैं: • नमरनेकीइच्छाहै • नजीनेकीइच्छाहै • नलौकिकसुखकीइच्छाहै • नपरलौकिकसुखकीइच्छाहै नकाम-भोगकेसुखपानेकीइच्छाहै। इसअनुष्ठानकोग्रहणकरतेसमय(देखियेसंकल्पलेनेकाआगमपाठ),उपरोक्तसमझकोदोहरानेसेउसकीवास्त विकतत्कालीनमानसिकताकादिग्दर्शनहोताहै। इसकाउद्देश्यऔरपरित्थितियाँ वहव्यक्तिसमझताहैकिउसकेअपनेकमजोरहएशरीरसेअबआत्मशुद्धिकीधार्मिकक्रियाएँकरनेमेंवहअसमर्थहै अतःऐसीस्थितिमेंसभीप्रकारकीपाप-क्रियाओं(पापक्रियाएँ18प्रकारकीहोतीहैं)कोछोड़देनाहीश्रेयस्करहै।इससेउसकीआत्माऔरज्यादामलिनहोनेसेसुरक्षितरहेगी इसकेलिएमन,वचनऔरकायाकेयोगसेसंकल्पकाएकसुरक्षाकवचधारणकरलेताहै।संकल्पलेनेकीआगमवि धिकेअनुसार, • सर्वप्रथमवहसभीजीवोंसे,अपनेगुरुकीसाक्षीसेहार्दिकक्षमायाचनाकरताहैऔरअपनीतरफसे सभीकोक्षमाभीकरदेताहै। इससोचकेअंतर्गतवहअपनीशक्तिअनुसार3अथवा4प्रकारकेआहारकाजीवनपर्यन्तत्यागक रलेताहै।फिरअपनाध्यानमात्रशुभविचारोंमेंकेंद्रितकरनेकाप्रयासकरताहै। इससंकल्पमेंवहअपनेईष्टसेप्रार्थनाकरताहैकिवोउसेइतनीशक्तिप्रदानकरेकिकोईभीबाधाउ सेजीवनपर्यन्तइससंकल्पसेविचलितनहींकरसके।इसकेअलावातोकिसीभीप्रकारकीयाकिसीभीवस्त कीकामनानहींकरताहै।Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7