Book Title: Aarya Sthulbhadra
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 29
________________ आर्य स्थूलभद्र दोनों भाइयों ने पिता की चिता को मखाग्नि दी। स्थूलभद्र सीधा अशोक वाटिका में आ गया। शोक में डूबा अकेला ही बैठा था तभी श्रीयक ने आकर झकझोरा भैया, जब आप ही शिका इस प्रकार शोक में डूबे रहेंगे तो हम सब का क्या होगा? ITIITTI कुछ देर तक स्थूलभद्र चुपचाप श्रीयक को देखता रहा।. फिर बोलाश्रीयक ! जीवन के उतार-चढ़ाव कितने विचित्र हैं? क्या सोचा था, ITI क्या हो गया। श्रीयक की आँखें आँसुओं से भर गईं। कुछ देर दोनों भाई गुमसुम बैठे रहे।

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