Book Title: Aajna Vignan Yug ma Jain Jiv Vicharnani Aahar Kshetra Prastutta Author(s): N M Kansara Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 8
________________ 109 आ कारणे जे संस्कारी मनुष्य माटे मांसाहारनो निषेध कर्यो छे. जैनधर्म तो आजना बधा धर्मोमां आहारना क्षेत्रे सौथी वधु वैज्ञानिक होवाथी आगामी एकवीसमी सदीमां तेणे प्रबोधेलुं मात्र एक स्थूलप्राणातिपात विरमण व्रत ज सर्वांशे सर्व देशोमां स्वीकार पामे तो पण जगतमा मंगलमयता व्यापी रहे, तो बीजां व्रतो स्वीकार पामे तो मंगलमयतामा केटली बधी वृद्धि पामे तेनी कल्पना ज आपणने आनंदविभोर करी मूके तेम छे. आ दृष्टिए ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः....' ए मांगलिक भावनाने प्रत्यक्ष जीवनमां साकार करवा माटे जैनधर्मनी जीवविचारणा खूब महत्त्वनो फाळो आगामी सदीमां आपी शके तेम छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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