Book Title: Aajna Vignan Yug ma Jain Jiv Vicharnani Aahar Kshetra Prastutta
Author(s): N M Kansara
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ 107 अनेक प्रकारनां अनाज, फळो, काष्ठफळो, करियाणां, शाक-पांदडां वगेरे सरज्यां छे, जेमां पूरता प्रमाणमां पोषक तत्त्वो रहेला होय छे. सामान्यतः पुरुषने रोज २३५० थी २७०० केलरी, स्त्रीने १८०० थी २१०० केलरी, छोकराने २४०० केलरी अने छोकरीने २०५० केलरी खोराक जरूरी होय छे. आ माटे अनाजमांथी १३८४, द्विदलमांथी २०९, शाक-पांदडांमांथी ४८, कंदमूळमाथी ७२, फळोमांथी २४, दूधमांथी १६८, तेलिबींयामांथी २२५ अने साकरमाथी १२० एम कुल मळीने २२५० केलरी मळी रहे छे.११ ।। घणा माणसो भूखमाराने बदले वधु पडता खोराकथी ज मरता होय छे. वधु पडतुं खावा करतां थोडंक ओर्छ - पेट थोडंक खाली रहे तेवी रीते, ऊनोदर रहीने, खोराक लेवो जोइए. आपणे जीववा माटे खावू जोइए नहीं के खावा माटे जीववं. आ माटे जेटला खोराकनी भूख होय तेनाथी थोडंक ओछु खावू जोइए. जे लोको भूख करतां वधु पडतुं खाय छे तेओ स्थूळता, आळस, अपचो, कबजीयात अने बीजा रोगोना भोग बने छे. मोटा भागना रोगोनुं कारण वधु पडती खाणीपीणी ज होय छे.१२ भूख दरेक माणसने व्याकुळ करी मूके छे अने माणसने कुमार्गे वाळे छे. पण शरीरनी भूख सीमित होय छे, अने थोडाक खोराकथी तृप्त थइ शके छे. कदी न संतोषाय तेवी भूक तो मननी होय छे. एने जेटली संतोषो एटली वधु भडके छे अने ते कुटेवोमां परिणामी छतरपीडी, बीक, तनाव, गुस्सो, धिक्कार वगेरेमां परिणामे छे.१३ । जैन धर्ममां अहिंसानी प्रधानताने लीधे जीवहिंसानो सदंतर निषेध होवाथी मांसाहारने कोइज अवकाश नथी. तेथी जो आजना वैज्ञानिक युगने लक्षमा राखी, मनुष्यना शरीरनी शाकाहारी प्राणीओ जेवी ज संरचना छे.१४ मांसाहारी प्राणीओ जेवी नथी ज. ए वैज्ञानिक हकीकतने लक्षमा राखी जैनधर्मना एक ११. एजन, पृ. ६. १२. एजन, पृ. ६-७. १३. एजन, पृ. ७. १४. एजन, पृ. ८-९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8