Book Title: Aajna Vignan Yug ma Jain Jiv Vicharnani Aahar Kshetra Prastutta Author(s): N M Kansara Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 7
________________ 108 मात्र स्थूल प्राणातिपात विरमण व्रतनो ज स्वीकार आवती एकवीसमी सदीमां सर्वानुमते स्वीकार थाय तो जगतमांना घणा रोगोना मूळ नाबूद करी शकाय. आजनुं शरीरविज्ञान स्पष्ट जणावे छे के शाकाहारी प्राणीओना दांत सपाट जडबांमां बेसेला होय छे, अने तेना नख मात्र फळ फूल चूंटी शके तेवा ज होय छे, ज्यारे मांसाहारी प्राणीओना दांत अने नख अणीदार अने प्राणीओनां शरीरोने फाडी नाखे एवा मजबूत होय छे. शाकाहारी प्राणीओनुं नीचे जडळ उपरनीचे अने डाबेजमणे हाली चाली शके छे ज्यारे मांसाहारी प्राणीओनुं नीचेनुं जडबु मात्र उपरनीचे हाली शके छे. शाकाहारी प्राणीओनी जीभ नरम अने सुंवाळी होय छे, ज्यारे मांसाहारी प्राणीओनी जीभ लांबी अने खरबचडी होय छे अने पाणी बहार नीकळे छे. शाकाहारी प्राणीओनां आंतरडां तेना धड करतां बारगणां लांबा होय छे ज्यारे मासांहारी प्राणीओनां आंतरडा तेमना धड करतां छ गणा लांबा होय छे. आम मांसाहारी प्राणीओनां आंतरडा प्रमाणमां वधु ढूंका होय छे. शाकाहारी प्राणीओ करतां मांसाहारी प्राणीओनां यकृत अने मूत्रशय प्रमाणमां वधु मोटा होय छे. शाकाहारी प्राणीओ करतां मांसाहारी प्राणीओना जठरमां पडता पित्तरसमां हाइड्रोक्लोरिक तेजाबनुं प्रमाण दस गणुं वधारे होय छे. शाकाहारी प्राणीओना मुखमांनी लाळ आलकली तत्त्व धरावे छे, ज्यारे मांसाहारी प्राणीओना मुखनी लाळ तेजाब तत्त्व धरावे छे. शाकाहारी प्राणीओना लोहीमां ऊंचुं ब्लड बी.एच. होय छे अने आलकली तरफी वलण होय छे, ज्यारे मांसाहारी प्राणीओना लोहीमां नीचुं ब्लड बी.एच अने तेजाब तत्त्व तरफी वलण होय छे. शाकाहारी प्राणीओ करतां मांसाहारी प्राणीओनुं रक्तलिपो-प्रोटीन जुदा प्रकारचें होय छे. शाकाहारी प्राणीओ करतां मांसाहारी प्राणीओनी घ्राणेन्द्रिय खूब प्रबळ, अने आंखो रात्रे जोइ शकनारी तथा खूब चमकती होय छे. शाकाहारी प्राणीओनी तुलनाए मांसाहारी प्राणीओनो अवाज घणो रूक्ष अने भयप्रद होय छे. शाकाहारी प्राणीओने जन्मतां ज साधारण दृष्टि प्राप्त थाय छे, ज्यारे मांसाहारी प्राणीओनी दृष्टि जन्म पछी अठवाडीया सुधी लगभग शून्य होय छे. आ बधां वैज्ञानिक तथ्यो लक्षमा लेतां स्पष्ट जणाय छे के मनुष्य कुदरती रीते मूलत: शाकाहारी प्राणी छे. अने प्राचीन ऋषिमुनिओए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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