Book Title: Aagam Manjusha 14 Uvangsuttam Mool 03 Jivajivaabhigam
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 19
________________ तिरिय(ए)मणुएसु(य) चत्तारि। देवेसु अद्धमासो उक्कोस विउच्वणा भणिया॥१५॥जे पोग्गला अणिवा नियमा सो तेसि होइ आहारो। संठाणं तु जहणं निषमा ९ड तु नाया॥१६॥ असुभा विउत्रणा खलु नेरइयाणं तु होइ सवेसि। वेउधियं सरीरं असंघयणं हुंडसंठाणं ॥ १७॥ अस्साओ उबवणो अस्साओ चेव चयह निरयभवं। सबपुढवीसु जीवो सवेसु ठिइविसेसेसुं ॥१८॥ उववाएण व साय नेइओ देवकम्मुणा बावि । अज्झवसाणनिमित्तं अहवा कम्माणुभावेणं ॥१९॥ नेरइयाणुष्पाओ उकोसं पंच जोयणसयाई। दुक्खेणभियाणं बेयणसयसंपगाढाणं ॥२०॥ अच्छिनिमीलियमेत्तं नस्थि सुहं दुक्खमेव पडिचदं। नरए नेरइयाणं अहोनिसं पचमाणाणं ॥२२॥ सेवाकम्मसरीरा सुहुमसरीरा यजे अपजत्ता। जीवेण मुकमेत्ता वचंति सहस्ससो भेयं ॥ २२॥ अतिसीतं अतिउण्हं अतितण्हा अतिसुहा अतिभयं बा। निरए नेरइयाणं दुक्खसयाई अविस्सामं ॥२३॥ एचय भिन्नमुहुत्तो पोग्गल असुहा य होइ अस्साओ। उववाओ उप्पाओ अच्छि सरीरा उ बोदधा ॥२४॥ नारयउद्देसओ तइओ, से तं नेरतिया १९६॥प्र०३ना०३उ०॥ से किंतं तिरिक्खजोणिया १.२पंचविधा पं० २० एगिदियतिरिक्खजोणिया बेईदिय० तेईदिय० चरिंदिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिया य, से किं तं एगिदियतिरिक्खजोणिया?,२ पंचविहा पं० त०-पुढविकाइयएगिदिय० जाच वणस्सइकाइयएगिदिय०, से किं तं पुढषिकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया?,२ दुविहा पं० २०-सुहुमपुढविकाइय० बादरपुदविकाइयएगिदिय०, से किंत सुहुमपुढविकाइयएगिदियतिरि०,२ दुविहा पं० सं०-पजनसुहम अपज्जत्तसुहम०,से तं सुहुम०, से किं तं बादरपुढवीकाइय०१,२ दुविहा पं० त० पजत्तबादरपु० अपज्जत्तवादरपु०, से तं बायरपुढवीकाइयएगिदिय०, से तं पुढवीकाइयएगिदिय, से किस आउकाइयएगिदिय०१,२ दुविहा पं० तं०-एवं जहेव पुढवीकाइयाणं तहेव, वाउकायभेदो एवं, जाव वणस्सतिकाइया, से तं वणस्सइकाइयएगिदियतिरिक्ख०, से किं तं बेईदियतिरिक्ख०१,२ दुविधा पं० त० पजसको ईदियति अपज्जत्तबेइंदियति०, से तं बेइंदियतिरि०, एवं जाव चउरिदिया, से किं तं पंचेदियतिरिक्खजोणिया?,२तिबिहा पं० तं०- जलयरपंचेंदिय० थलयरपंचेंदिय० खहयरपंचेंदिय०, से किं तं जलयरपंचेदियतिरिक्वजोणिया?,२ दुविहा पं० त०-समुच्छिमजलयरपंचेंदिय० य गन्भवतियजलयरपंचिंदिय०, से किं तं समुच्छिम. जलयर तिरिक्वजोणिया?,२ दुविहा पं०२० पजत्तगसमुच्छिम० अपजत्तयसमुच्छिम, सेत्तं जलयरा, से तं संमच्छिम पचिदियतिरिक्ख० से किं तं गम्भवतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया? २ दुविधा पं० त० पजत्तगम्भवतिय अपजत्तगम्भ०, से तं गम्भवतियजलयरपंचेंदियतिरि०, सेतं जलयरपंचेदियतिरि०, से किं तं थलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिता ?,२ दुविधा पं० सं०-चउप्पयथलयरपंचेंदियः परिसप्पथलयरपंचेदिय०, से किंतं चउप्पदधलयरपंचिदिय०१.२ दुविहा पं० त०-समुच्छिमचउपयथलयर गम्भवतियचउप्पयथलयर० य जहेव जलयराणं तहेब चउकतो भेदो, सेत्तं चउप्पदधलयरपंचेंदिय०, से किं तं परिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्ख०१.२ दुविहा पं० त०. उरपरिसप्पथलयर भयपरिसप्पथलयर०, से किं तं उरगपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिता?,२ दुविहा पं० तं०. जहेव जलयराणं तहेब चउकतो भेदो, एवं भयगपरिसप्पाणवि भाणितव्यं, से तं भुयपरिसप्पथलयर०, से तं धलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिता, से किं तं खयरपंचेदियतिरिक्वजोणिया?,२ दुविहा पं० त०. समुच्छिमखयर० गम्भवतियखहयर० य, से कितं समुच्छिमखयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिता?,२ दुविहा पं० त०- पज्जत्तगसंमुच्छिमखहयर अपज्जत्तगसमुच्छिमखहयर० य,एवं गम्भवतियावि जीव पजत्तगम्भवकंतियावि अपजत्तगगम्भवतियावि, खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कतिविधे जोणिसंगहे पं०?, गोतिविहे जोणिसंगहे पं० त०-अंडया पोयया संमुच्छिमा, अंडया तिविधा पं० त०इत्था पुरिसा णपुसगा, पतिया तिविधा पं०० इत्थी पुरिसा गपुंसया, तरथ णं जे ते संमुच्छिमा ते सधे णपंसका। ९७। एतेसिं णं भंते ! जीवाणं कति लेसाओ पं०१. गो.! छाडेसाओ पं० २० कण्हलेसा जाव मुकलेसा, ते णं भंते! जीवा किं सम्मादिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी?, गो०! सम्मादिट्ठीचि मिच्छादिट्टीवि सम्मामिच्छादिट्ठीवि, ते णं भंते! जीवा किं णाणी अण्णाणी?, गो० ! णाणीवि अण्णाणीवि तिणि णाणाई तिणि अण्णाणाई भयणाए, ते णं भंते ! जीवा किं मणजोगी यइजोगी कायजोगी ?, गोविविधावि, तेणं भंते ! जीवा किं सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता ?. गो.! सागारोवउत्तावि अणागारोबउत्तावि, ते णं भंते ! जीवा कओ उक्वजति किं नेरतिएहितो उव तिरिक्खजोणिएहिंतो उव०१ पुच्छा, गो०! असंखेजवासाउयअकम्मभूमगअंतरदीवगवज्जेहिंतो उव०, तेसि णं भंते! जीवाणं केवतियं कालं ठिती पं02.गो! जह० अंतोमहत्तं उको पलिओवमस्स असंखेजतिभागं, तेसिणं भंते ! जीवाणं कति समुग्धाता पं०१.गो०! पंच समुग्धावा पं० त०-व यासमुग्धाए, ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्धाएणं किं समोहता मरंति असमोहता मरंति?, गो०! समोहतावि म० असमोहयावि मरति, ते णं भंते ! जीवा अणंतरं उच्चहित्ता कहिं गच्छति कहिं उबवजंति ?- किं नेरतिएस उववजति ? तिरिक्ख० पुच्छा, गो०! एवं उबट्टणा भाणियवा जहा वकंतीए तहेव, तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति जातीकुलकोडिजोणीपमुहसयसहस्सा पं०?, गो०! वारस जाती कुलकोडी जोणीपमुहसयसहस्साई, भुयगपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! कतिविधे जोणीसंगहे पं०१, गो०! तिविहे जोणीसंगहे पं० सं०- अंडगा पोयगा समुच्छिमा, एवं जहा खयराणं तहेव णाणत जह अंतोमुहुनं उक्को० पुषकोडी उबट्टित्ता दोचं पुढविं गच्छति णव जातीकुलकोडी जोणीपमुहसतसहस्सा भवंतीतिमक्खाय सेसं तहेब, उरगपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! पुच्छा जहेब मुयपरिसप्पाणं तहेव गवरं ठिती जह• अंतोमुहुर्त उक्को० पुषकोडी उच्चट्टित्ता जाव पंचमि पुढवि गच्छंति दस जातीकुलकोडी चउप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्त पुच्छा, गो०! दुविधे पं० सं०-जराउया ६१७जीवाजीवाभिगमः, पति मुनि दीपरत्नसागर

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