Book Title: Aagam Manjusha 14 Uvangsuttam Mool 03 Jivajivaabhigam
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 66
________________ जत्तगा य, एगिदियस्सणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पं०१, गो० ! जह• अंतोमहत्तं उको बाबीसं वाससहस्साई बेइंदिय० जह० अंतोमु० उको बारस संवच्छराणि एवं नेइंदियम्स एगणपण्णं राइंदियाणं चाउरिदियस्स उम्मासा पंचेंदियस्स जह० अंतोमु० उक्को तेत्तीसं सागरोवमाई, अपज्जत्तएगिदियस्स णं केवतियं कालं ठिती पं०१, गो! जह• अंतोमु० उको अंतो०, एवं सरेसि, पजत्तेगिदियाणं जाव पंचिन्दियाणं पुच्छा, जह० अंतो० उक्को० बावीसं वाससहस्साइं अंतमुहुत्तोणाई, एवं उकोसिया ठिती अंतोमुहत्तोणा सधेसिं पजत्ताणं कायचा, एगिदिए णं भंते ! एगिदिएत्ति कालओ केवचिरं होइ?, गो०!जह अंतोमु० उक्कोवणस्सतिकालो, बेइंदियस्स णं भंते ! जह• अंतोमु उको संखेज कालं जाव चाउरिदिए संखेज कालं पंचेंदिए ण भंते! पंचिदिएत्ति केवचिरं०, गो०! जह• अंतोमु० उक्को० सागरोक्मसयपुहुत्तं साइरेग, एगिदिएणं अपज्जत्तएणं भंते!, गो० जह• अंतोमु० उको अंतोमुहुर्त जाव पंचिंदियापजत्ता, पजत्तगएगिदिए णं भंते !०१, गो०! जह• अंतोमुहुर्त उक्को संखिजाई वाससहस्साई, एवं बेईदिएविणवार संखेजाई वासाई, तेइंदिए णं भंते! संखेजा राईदिया, चाउरिदिए थे० संखेजा मासा, पजत्तपंचिंदिए०सागरोवमसयपृहुत्तं सातिरेगं, एगिदियस्सणं भंते! अंतर०, गो०! जह• अंतोमुहत्तं उको दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमम्महियाई, दियस्स पं० अंतरं होति ?, गो०! जह• अंतोमुहुत्तं उक्को० वणस्सइकालो, एवं तेइंदियस्स चउरिदियस्स पंचेंदियस्स, अपजत्तगाणं एवं चेय, पजत्तगाणवि एवं चेव । २२५। एएसि णं भंते! एगिदियवेई० तेई० चउ०पंचिंदियार्ण कयरे०१, गो! सवत्योवा पंचेंदिया चउरिदिया पिसे० तेइंदिया विसे० बेईदिया पिसे० एगिदिया अर्णतगुणा, एवं अपजत्तगाणं सबत्योवा पंचेंदिया अपजत्तमा चाउरिदिया अपज्जत्तगा विसे० तेइंदिया अपजत्तगा विसे बेइंदिया अपजत्लगा विसे एगिदिया अपजत्तगा अर्णतगुणा सईदि. याप०वि०, सवत्थोचा चाउरिदिया पजत्तगा पंचेंदिया पजत्तगा विसे दियपज्जत्तगा विसे० तेइंदियपज्जत्तगा विसे० एमिंदियपजत्तमा अर्णतगुणा सईदिया पज्जत्तगा विसे०, एतेसिं ण भंते ! सईदियार्ण पज्जत्तगअपज्जतगार्ण कयरे०१, गो० सवत्थोवा सईदिया अपजत्तगा सईदिया पज्जत्तगा संखेजगणा. एवं एगिनियावि. एतेसिं गं भंते ! बेडदियाण पजत्ताप, जत्तगाणं अप्पाबहु ?, गो०! सबत्योवा मेहंदिया पजत्तगा अपज्जत्तगा असंखेजगुणा, एवं तेंदियचउरिदियपंचेंदियावि, एएसिणं भंते ! एगिदियाण बेईदि० तेइंदि० चाउरिदि० पंचें. दियाण य पजत्तगाण य अपज्जत्तगाण य कयरे०१, गो० ! सञ्बत्थोना चउरिंदिया पज्जत्तगा पंचेंदिया पजत्तगा विसे बेइंदिया पज्जत्तगा विसे० तेइंदिया पजत्तगा विसे. पंचेंदिया अपजत्तगा असंखेजगुणा परिदिया अपजत्ता विसे० तेइंदियअपज्जत्ता बिसे बेइंदिया अपजत्ता विसे० एगिदियअपजत्ता अर्णतगुणा सईदिया अपजत्ता विसे० एगिदियपज्जत्ता संखेजगुणा सईदियपजत्ता विसे० सईदिया विसेगसेत्तं पंचविधा संसारसमावण्णगा जीवा । २२६॥०४॥ ॥॥ तत्थ ण जे ते एवमासु छपिहा संसारसमावण्णगा जीवा पं० ते एवमासु, तं०- पुढवीकाइया आउ० तेउ० पाउ० वणस्सति० तसकाइया, से किं तं पुढवी०१. दुविहा पं०२०-सुहुम मुढविकाइया य पादरपुढवीकाइया य, मुहुमपुढवीकाइया दुविहा पं० त० पज्जत्तगा य अपजत्तमा य, एवं वायरपुढवीकाइयावि, एवं चउकएणं भेएणं आउदेउवाउवणस्सतिकाइया णेयचा, से किं तं तसकाइया',२ दुविहा पं० त०-पजत्तगा य अपजत्तगा य ।२२७। पुढवीकाइयस्स ण भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०१, गो जह० अंतो० उक्कोबावीसं वाससहस्साई. एवं सत्रेसिं ठिती यत्रा, तसकाइयस्स जह० अंतो. म उको तेत्तीस सागरोवमाई, अपजत्तगाणं सबेसि जह• उक्को अंतो०, पज्जत्तगाणं सधेसिं उक्कोसिया ठिती अंतोमुहुत्तऊणा कायदा । २२८ पुढवीकाइएणं भंते ! पुढवीकाइयत्तिकालतो केवचिर होइ?, गो०! जह• अंतो० उक्को० असंखेज कालं जाव असंखेजा लोया, एवं जाव आउ० तेउ. वाउक्काइयाणं, वणस्सइकाइयाणं अर्णतं कालं जाव आव. लियाए असंखेजतिभागो, तसकाइए णं भंते !०,जह अंतोमु० उक्को दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमभहियाई, अपजत्तगाणं उण्हवि जहण्णेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, ण पजत्ता। तेऊ राईदि संखा तस सागरसतपुडुत्ताई ॥८९॥ पजत्तगाणवि सोसि एवं, पुढवीकाइयस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति?, गो० ! जह• अंतो० उक्को. वणफतिकालो, एवं आउतेउवाउकाइयाणं वणस्सइकालो, तसकाइयाणवि, वणस्सइकाइयस्स पुढवीकाइयकालो, एवं अपज्जत्तगाणवि वणस्सइकालो, वणस्सईणं पुढवीकालो, पजत्तगाणवि एवं चेव वणस्सइकालो, पज्जत्तवणस्सईणं पुढवीकालो । २२९। अप्पाबहुयं-सबत्योचा तसकाइया तेउक्काइया असंखेजगुणा पुढवीकाइया विसेसाहिया आउकाइया विसे० पाउक्काइया विसे० षणस्सतिकाइया अर्णतगुणा, एवं अपजत्तगावि पजत्तगावि, एतेसिणं भंते ! पुढवीकाइयाणं पजत्तगाण य अपजतगाण य कयरे०१, गो०! सबत्योवा पुढवीकाइया अपजत्तगा पुढवीकाइया पज्जत्तगा संखेजगुणा, एतेसिं थ०, सवत्थोवा आउकाइया अपजत्तगा पजत्तगा संखेजगुणा जाव वणस्सतिकाइयावि, सवत्थोबा तसकाइया पजत्तगा तसकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा, एएसिणं भंते ! पुढवीकाइयाणं जाव तसकाइयाणं पजत्तगाणं अपजत्तगाण य कयरे०१, सब त्योवा तसकाइया पज्जत्तगा तसकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा तेउकाइया अपजत्ता असंखेजगुणा पुढविकाइया आउकाइया वाउकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया तेउ- (१६६) ६६४जीवाजीवामिगमः, प्रनियनि-- मुनि दीपरनसागर

Loading...

Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76