Book Title: Aagam 45 Anugdwaar Sutra Choorni
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 84
________________ आगम (४५) "अनुयोगद्वार"- चूलिकासूत्र-२ (चूर्णि:) .....................मूलं [१४१-१४६] / गाथा ||११२-१२१|| ... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र- [४५], चूलिकासूत्र- [०२] "अनुयोगद्वार" चूर्णि: प्रत सूत्रांक [१४१ अनुयोग १४६] चूणीं 451525TOR गाथा ॥८॥ ||११२ १२१|| सम्वेहिं तप्पमाणो पुणो अण्णो पल्लो आइ(भरि)ज्जइ, सोवि सिद्धत्थाण भरिते जमिर णिवितो ततो २ परतो दीवसमुदेसु एककं | उत्कृष्ट पक्विविज्जा जाव सोवि णिद्वितो ततो सलागापल्ले वितितो सरिसबो छढो, जत्थ जत्थ विणिहितो तेण सह आतिल्लेहिं दीव- सल्यात, समुद्देहिं पुणो अण्णो पल्लो आइज्जति, सोवि सरिसवाणं भरितो, ततो परयो एक्केकं दीवसमुद्देसु पक्खिवतण णिट्ठवंतो(डिओ) ततो असंख्या सलागपल्ले ततिया सलागा पक्खित्ता, एवं एतेण अणववियपल्लकरणकमेण सलागरगहणं करेंतेण सलागापल्लो सलागाण भरितो, क्रमागतः अणवद्वितो सलागापल्लो य सलाग ण पडिच्छइत्तिकातुं से चेव णिक्खित्तो, णिद्वितढाणा पुरतो पुब्बकमेण पक्खित्तो शिवितो य, ततो पडिसलागापल्ले पढमा पडिसलागा छुढा, ततो अणवहितो उक्खित्तो णिडियठाणा परतो पुब्बकमेण पक्खित्तो णिवितो य ततो सलागापल्ले सलागा पक्खित्ता, एवं अण्णमन्त्रेणं अणवद्वितण आयरणिक्खरं करतेण जाहे पुणो सलागापल्लो | भरितो अणवद्वितो य ताहे पुणो सलगापल्लो उक्खित्तो पक्खिचो णिहितो य पुवकमेण, ताहे पडिसलागापल्ले | जितिया पडिसलागा छुढा, एवं आयरणिक्खरकरणेण जाहे तिनिवि पडिसलागसलागअणवडियपल्ला प भरिता | ताहे पडिसलागापल्लो उक्खिनो पक्खिप्पमाणो णिडिओ य ताघे महासलागापल्ले पढमा महासलागा छूढा, ताहे सलागापल्लो उक्खित्तो पक्खिप्पमाणो णिवितो य ताहे पडिसलागा पक्खित्ता, ताधे अणवद्वितो उक्खिचो ४ परिखत्तो णिडिओ य ताहे सलागापल्ले सलागा पक्खिता, एवं एतेण आयरणिकिरणकमेण ताव कायव्वं जाव परंपरेण महासलागा पडिसलागा सिलागा अणवट्ठिय चतुवि भरिता ताहे उकोसमतिथियं, एत्थं जावतिया अणवडिय- | ता ॥८ ॥ | पल्ल सलागापल्ले पडिसलागापल्ले महासलागापल्ले य दीवसमुद्दा उद्धरिता ये य चतुपल्लडिया सरिसवा एस सम्बोधि एतप्पमाणो SA5%%%54 दीप अनुक्रम [२९२३१४] ~84 ~

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