Book Title: Aagam 38 B PANCHKALP Bhashya ev Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 1
________________ ' [३८/२] श्री पंचकल्प (छेदसूत्रम्) भाष्य । नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः । "पंचकल्प" भाष्यं [संघदासगणिक्षमाश्रमण-विरचितं भाष्य] व्याख्या + महत् भाष्य + लघुभाष्य [आदय संपादकः - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा.।। (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) | 12/02/2015, गुरुवार, २०७१ महा कृष्ण ८ jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३८/२], छेदसूत्र - [9/२] "पंचकल्प" संघदासगणिक्षमाश्रमण रचितं भाष्यPage Navigation
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