Book Title: Aagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 1
________________ [१५] श्री प्रज्ञापना (उपांग)सूत्रम् नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य श्रीआनंद- क्षमा-ललित-सुशील सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः “प्रज्ञापना" मूलं एवं वृत्ति: [मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः] [आद्य संपादकः - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ] (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह ) पुनः संकलनकर्ता→ मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) 15/12/2014, सोमवार, २०७१ मृगशिर्ष कृष्ण ८ jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [१५], उपांग सूत्र- [४] “प्रज्ञापना मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः ~0~

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