Book Title: Aadhunik Jain Kavi Author(s): Rama Jain Publisher: Bharatiya Gyanpith View full book textPage 9
________________ करते हैं। नवीन कवियोंमें 'श्री हुकमचन्दजी वुखारिया' ऐसे उदीयमान कवि हैं, जिनसे हिन्दी साहित्यको एक न एक रोज़ क़ीमती रचनाएँ प्राप्त होंगी। ___ ज्ञानपीठकी स्थापनाके ३-४ महीने बाद ही लखनऊमें जैनपरिषद्का अधिवेशन था, उसके सभापति श्रीमान् साहू शान्तिप्रसादजीकी अभिलाषा थी कि 'आधुनिक जैन कवि' उस समय तक अवश्य प्रकाशित कर दिया जाय । इस अल्प समयमें प्रस्तुत पुस्तकका सम्पादन और प्रकाशन हुआ, और पहिला संस्करण एक सप्ताहमें समाप्त हो गया, मांग बढ़ती रही, उलाहने पाते रहे, और सब कुछ साधन होते हुए भी दूसरा संस्करण शीघ्र प्रकाशित नहीं हो सका । संगोषित प्रेस कापी तैयार पड़ी रही। परन्तु प्रयत्न करनेपर भी इससे पहले प्रकाशित नहीं हो सकी ! कहीं-कहीं कवि-परिचय भी भूल से छूट गया है जिस का हमें खेद है। सम्पादिका श्रीमती रमारानीजीका यह पहला प्रयास है, यदि वे इस ओर अग्रसर रहीं, तो उनसे हमको भविष्यमें काफी आशाएँ हैं। डालमियानगर ) १८ अक्तूबर १९४६) अयोध्याप्रसाद गोयलीय -मंत्रीPage Navigation
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