Book Title: 1st Jain International Conference Author(s): Jaina Jito Shrutratnakar Publisher: Jaina Jito ShrutratnakarPage 18
________________ 1st INTERNATIONAL JAIN CONFERENCE Acharya Padmasazarsuri दिनांक : 07-01-2020 ।। ॐ अर्हम् ।। जैना, जैन वर्ल्ड कॉन्फेडरेशन, जीतो तथा श्रुत रत्नाकर के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित हो रही द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय जैन कॉन्फरेन्स के विषय में जाना। "जैनधर्म को विश्वव्यापी बनाने के लिए क्या करना चाहिए" इस विषय की अंतर्ध्वनि हमें कुछ युं प्रतीत हो रही है कि “जैनधर्म के लिए जारी विश्व पुकार की पूर्ति के लिए हम जैनों को क्या करना चाहिए।" । प्रबुद्ध अग्रणी एवं जिम्मेदार संस्थाओं द्वारा की जा रही यह पहल सच ही समयोचित है। प्राचीनकाल में तो बौद्धधर्म की तरह जैनधर्म की भी यही वास्तविकता थी कि यह भी दूर-दूर तक विदेशों में भी फैला हुआ था। वर्तमान युग में जैनधर्म को विश्वव्यापी गहरी पहचान दिलाने वाले पुरोधा श्री वीरचंद राधवजी गांधी थे। उनकी यह साधना इस विषय की हमारी हर प्रवृत्ति की आधारशिला बनी रहेगी। जैनधर्म की अपनी खास सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक क्षमताओं के कारण जैनधर्म के समक्ष संभावनाएँ असीम हैं, तो सामने जैनों और जैनधर्म के अस्तित्व को ही खतरे में डालने वाले भयस्थान भी तेजी से बढ़ रहे हैं। अनेक आयामों में यह भयस्थान उभर कर Shri Mahaveer Jain AradhanaKendra, Koba 382007 (Gandhinagar). Gujarat. Tel: 07923276204/5. Fax: 079-23278249.Email: kobatirthdlyahoo.comPage Navigation
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