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नवाङ्गी- को. अंगूठाना छेदन पामेली ते चित्रकार पोतानी घरवखरी सर्वे लई कुरुदेशमा हस्तिनापुरनगरविषे आव्यो अने पोतानो सर्वे सामान परि०५ १०. नगर बहार राखी अदीनशत्रू राजा पासे आवी वसवानी रजी आपवा विनंति करी.
Fle-श्रीमल्लीभीज्ञाता-18 ___अदीनशत्रु राजाए तेने पूछयु के तमने मल्लदिन्नयुवराजे कया गुन्हाथी देशपार कर्या ! आवा प्रश्नना जवाचा त्यां बनेल सर्व अध्ययनधर्मकथाङ्गे वृत्तांत को अने पोते फरीथी एक पाटीआ उपर चीतरेली मल्लीकुमारीनुं दृश्य बताव्युं अने ते पाटीउ राजाने मेट कयु. मल्लीकुमारीना
सारांशः। रूपने जोइ मोहित थयेला अदीनशत्रुराजाए तेनी साथै परणवानो मनसूबो करी ते मागु करवा पोताना दूतने मिथिलानगरी विषे | ॥४५॥ कुम्भराजा पासे रवाना कयों.
।६ जितशत्रू राजा। ते काल अने समये पंचाल देशमा कांपिस्यपुरनामनी राजधानी विषे जितशत्रू नामनो राजा राज्य करतो हतो तेने धारिणी आदि एकहजार राणीओनुं अंतेउर हतुं.
मिथिलानगरीमा चोक्खा नामनी परिवाजिका आवी छे ते ऋग्वेद आदिमां पारंगत छे. अनेक क्षत्रियो अने श्रेष्ठिओ आगल | पोताना शोचमूल धर्मने उपदेशे छे, एक वखत ते परिव्राजिका पोताना सामान्य परिवारने साथे लेइ राजमहेले गइ अने ज्यां मल्लीकुमारी छे त्यां गइ. मल्लीकुमारी आगल पोतानो धर्म अने तेनु फल सविस्तर प्ररूप्या, त्यारे मल्लीकुमारीए तेणीने प्रश्न कर्यो के-हे चोक्खा ! लोहीथी खरडायेल बस्न लोहीथी घोवामां आवे तो ते शुं धोवाय ! शुद्ध थाय ! चोक्खा परिब्राजिकाए जणाव्यु के शुद्ध न थाच तेम ते वस्त्र तेवी रीते धोवाय पंण नहीं. त्यार पछी मल्लीकुमारीए तेने जणाव्यु के-प्राणातिपात यावत् मिथ्यादर्शनथी मलिन
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CALARISHNA
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